मुंबई/दि. 31 – महाविकास आघाडी सरकार ने राज्य के मराठा विद्यार्थी और उम्मीदवार को आर्थिक रूप से कमजोर उम्मीदवार के तौर पर 10 प्रतिशत आरक्षण का फायदा देने का फैसला किया है. इस तरह से अब मराठा समाज के विद्यार्थियों को शैक्षणिक संस्थाओं में प्रवेश के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिलेगा साथ ही नौकरी में सीधी भर्ती के लिए भी मराठा समाज के उम्मीदवारों को 10 प्रतिशत आरक्षण का फायदा मिलेगा. सुप्रीम कोर्ट ने देवेंद्र फडणवीस सरकार द्वारा मराठा समाज को दिए जाने वाले 13 प्रतिशत आरक्षण के के फैसले को रद्द कर दिया था. इसके बाद ठाकरे सरकार ने सामाजिक रूप से पिछड़ा वर्ग के आधार पर आरक्षण देने में मुश्किलों को देखते हुए मराठा समाज को EWS के तहत आरक्षण देने का निर्णय ले लिया. सरकार के इस निर्णय से अब राज्य के मराठा उम्मदीवारों और विद्यार्थियों को EWS के तहत के तहत 10 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिलेगा.
राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद मराठा समाज के विद्यार्थियों और उम्मीदवारों को अब आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की श्रेणी में रखा है. मराठा समाज के विद्यार्थी और उम्मीदवार इसी आधार पर अब आरक्षण के हकदार हैं. इससे अब वे सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग के तहत आरक्षण पाने की मांग नहीं कर सकेंगे. क्योंकि आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्तियों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण उन्हीं जातियों के सदस्यों के लिए लागू होता है जो आरक्षण सूची में शामिल नहीं हैं. मराठा समाज को फडणवीस सरकार ने साल 2018 में SEBC के दायरे में लाया था. जिसे हाई कोर्ट ने थोड़े-बहुत बदलाव के साथ कायम रखा था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे रद्द कर दिया. इस लिए अब ठाकरे सरकार ने मराठा विद्यार्थियों और उम्मीदवारों को EWS के तहत आरक्षण देने का फैसला किया है. जब तक मराठा समाज को SEBC के तहत आरक्षण दिया जा रहा था, तब तक EWS के तहत आरक्षण नहीं दिया जा सकता था, क्योंकि एक साथ दो वर्गों में आरक्षण की कोई व्यवस्था नहीं है. लेकिन अब जब सुप्रीम कोर्ट द्वारा मराठों को SEBC के तहत दिया जाने वाला आरक्षण अवैध घोषित कर दिया गया है तब राज्य सरकार ने उन्हें EWS के कोटे से आरक्षण देने की शुरुआत कर उन्हें समाधान देने की कोशिश की है.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा मराठा आरक्षण रद्द करने के बाद मराठा समाज में निराशा फैल गई थी. मराठा समाज के एक बड़े वर्ग से यह मांग की जा रही थी कि जब तक मराठा आरक्षण से जुड़ा कोई समाधान नहीं निकल आता तब तक EWS के कोटे से मराठों को आरक्षण देने की शुरुआत की जाए. इसी मांग को ध्यान में रखते हुए ठाकरे सरकार ने यह फैसला किया है. इस बीच मराठा आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द किए जाने के बाद छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज और राज्यसभा सांसद संभाजी राजे भोसले ने मराठा आरक्षण की लड़ाई को आगे बढ़ाने के लिए तीन उपाय सुझाए हैं. एक- सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को लेकर रिव्यू पिटीशन दाखिल किया जाए, दो- रिव्यू पिटीशन ना टिके तो क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल किया जाए, तीन- राज्य राज्यपाल के माध्यम से राष्ट्रपति से अपील करे. राष्ट्रपति को सही लगे तो वो यह मामला केंद्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के पास भेजे. फिर केंद्र सरकार द्वारा इसपर निर्णय लिया जाए. लेकिन ये सब लंबी प्रक्रियाएं हैं, तब तक के लिए ठाकरे सरकार ने मराठा समाज की निराशा दूर करने के लिए एक तात्कालिक उपाय के तहत मराठा समाज के विद्यार्थियों और उम्मीदवारों को शैक्षणिक संस्थानों में और नौकरियों में EWS के तहत 10 प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय लिया है. अब देखना है कि मराठा समाज इस आरक्षण पर अपनी क्या प्रतिक्रियाएं देता है.