मुंबई/दि.18 – केंद्र सरकार ने लड़कियों के विवाह की उम्र बढ़ाने के संदर्भ में लिया गया निर्णय अत्यंत अच्छा है. युवती के विवाह की उम्र अब कानूनन 18 वर्ष की बजाय 21 वर्ष होगी. मात्र इस निर्णय को अमल में लाना अत्यंत कठिन है. ऐसी पद्धति की यंत्रणा हमें सक्षम करनी होगी, ऐसी सलाह दते समय राज्य की महिला व बालविकास मंत्री एड. यशोमती ठाकूर ने राज्य में व देश में बाल विवाह का प्रमाण बड़ी संख्या में बढ़ा हुआ दिखाई देगा, ऐसा भय व्यक्त किया है.
मानसिकता बदलने की आवश्यकता
राज्य में बालविवाह का प्रमाण कोरोना काल में बढ़ते दिखाई दिया. अप्रैल 2020 से जून 2021 इस कालावधि में राज्य में 800 से अधिक बालविवाह रोक गए. 12 से 17 आयु उम्र की लड़कियों का इसमें समावेश है. बालविवाह के कारण आठवीं से ग्यारहवीं कक्षा की लड़कियों की संख्या कम होने की वस्तुस्थिति सामने आयी है. बाल विवाह में सोलापुर जिला अग्रणी होकर औरंगाबाद, उस्मानाबाद, नांदेड़, यवतमाल जिले में भी बाल विवाह का प्रमाण लक्षणीय है.
सुविधाजनक पद्धति से अनदेखी
राज्य में बालविवाह का प्रत्यक्ष में चित्र अलग है. ऐसी प्रथा-परंपरा शुरु ही है. चाईल्ड लाईन के कॉल से जानकारी मिलने के बाद बाल विवाह रोकने की कार्यवाही की जाती है. लेकिन दूसरी ओर चुपचाप तरीके से भी बड़े पैमाने पर बालविवाह हो रहे हैं. इस ओर अनदेखी की जाती है. पालक पहचान के माध्यम से लड़कियां 18 वर्ष की होने से पूर्व विवाह करवा देते हैं. बाल विवाह बढ़ने से राज्यस्तर पर प्रत्येक तहसील में 100 ग्रामस्तरीय समितियों के पुलिस पाटील व अंगणवाड़ी सेविकाओं को प्रशिक्षण देेने का कार्यक्रम महिला व बालविकास विभाग द्वारा किया जा रहा था.