एमबीबीएस डॉक्टरों को एक वर्ष की शासकीय सेवा अनिवार्य
कोरोना की पृष्ठभूमि पर राज्य शासन का निर्णय
मुंबई/दि.15-राज्य की शासकीय अनुदानित व निजी बिना अनुदानित वैद्यकीय महाविद्यालय से वैद्यकीय पदवी (एमबीबीएस) प्राप्त करने के बाद डॉक्टरों को एक वर्ष की शासकीय सेवा अनिवार्य की गई है. कोरोना संक्रमक रोग की पृष्ठभूमि पर राज्य शासन ने यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया है.
शासकीय सेवा न करनेवाले डॉक्टरों की ओर से जुर्माना वसूल करने का इससे पूर्व का शासन आदेश रद्द किया गया है.
राज्य के शासकीय अथवा महानगरपालिका के वैद्यकीय महाविद्यालय में पढनेवाले विद्यार्थियों की शिक्षा पर शासन की ओर से व महापालिका की ओर से बडे प्रमाण पर खर्च किया जाता है. इस खर्च की तुलना में विद्यार्थियों की ओर से वसूले गये शुल्क कम है. विद्यार्थियों पर होनेवाला यह खर्च जनता की ओर से प्राप्त होने वाले कर से किया जाता है. जिसके कारण जनता का ऋण चुकाने के उद्देश्य से एमबीबीएस व बीडीएस पदवी प्राप्त करने के बाद डॉक्टर्स एक वर्ष शासकीय,स्थानीय स्वराज्य संस्था व सुरक्षा दल मेंं सेवा करे. ऐसा बंधपत्र प्रवेश के समय विद्यार्थियों की ओर से लिखवाया जाता है. उसे सामाजिक दायित्व सेवा योजना ऐसा नाम दिया गया है. किंतु इस प्रकार की सेवा न देनेवाले विद्यार्थियों की ओर से १० लाख रूपये जुर्माना वसूल करने का निर्णय शासन ने लिया है. परंतु अनेक विद्यार्थी जुर्माना भरकर सामाजिक दायित्व सेवा से मुक्त हो जाते है तथापि कोरोना संक्रमण रोग की पृष्ठभूमि पर अतिरिक्त वैद्यकीय व्यावसायिको की जरूरत होने का शासन को महसूस हुआ.
जिसके कारण अब इसके बाद एमबीबीएस पाठ्यक्रम उत्तीर्ण होनेवाले उम्मीदवारों को सामाजिक दायित्व सेवा अनिवार्य करने का निर्णय शासन ने लिया है. जिसके कारण जुर्माने की रकम भरकर वे उससे मुक्त नहीं हो सकते. ऐसा वैद्यकीय शिक्षा व औषधी द्रव्ये विभाग ने मंगलवार को जारी किए गये शासन आदेश में स्पष्ट किया है.
* निर्णय किसे लागू
शासकीय अनुदानित व निजी बिना अनुदानित वैद्यकीय महाविद्यालय से एमबीबीएस शिक्षा लेनेवाले व शासन की ओर से छात्रवृत्ति तथा शुल्क प्रतिपूर्ति सहूलियत लेनेवाले विद्यार्थियों को भी यह निर्णय लागू है. सामाजिक दायित्व सेवा नहीं की तो उनकी ओर से छात्रवृत्ति व शिक्षा शुल्क की रकम ब्याज सहित वसूल करने का निर्णय लिया गया था. परंतु अब शासकीय स्थानीक स्वराज्य संस्था व सुरक्षा दल में एक वर्ष सेवा करना अनिवार्य किया गया है. २०२२-२३ इस वर्ष से यह निर्णय लागू किया गया है.