महाराष्ट्र

फडणवीस सरकार के दौर में चलाए गए ऊर्जा विभाग के कार्याें की जांच शुरु

समिति का किया गया गठन

मुंबई/दि.10 – जलयुक्त शिवार कार्य के ठेके में घोटाले होने की शिकायतों की जांच चल रही है. वहीं अब फडणवीस सरकार के 2014 से 2019 इन पांच वर्षों के कार्यकाल में ऊर्जा विभाग में मौलिक सुविधा विकास के 6500 करोड रुपयों के कार्यों की जांच कराने का निर्णय ऊर्जा विभाग ने लिया है. इसके लिए एक समिति भी गठित की गई है. 1 दिसंबर तक समिति को अपनी रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिये गए है.
यहां बता दें कि, राज्य के बिजली वितरण यंत्रणाओं को अपडेट करने के लिए महावितरण ने मौलिक सुविधाओं के विकास कार्यों को बीते 14 वर्षों से प्राथमिकता दी है. साल 2007 से 2014 के दौर में 12 हजार करोड रुपयों के मौलिक सुविधा विकास प्रकल्प 1 अंतर्गत काम हुए. वहीं 2014 से 2019 के दौर में मौलिक विकास प्रकल्प 2 के तहत 6500 करोड रुपयों के काम लिये गए. 11 केवी हाई वोल्टेज तार बिछाने, नये ट्रान्सफार्मर लगाने, नए बिजली उपकेंद्र स्थापित करने आदि का इसमें समावेश था. महाविकास आघाडी सरकार की स्थापना होनेे के बाद महावितरण के क्षेत्रीय कार्यालय की ओर से 2 वर्षों में 3387 करोड रुपयों के कार्यों का प्रस्ताव ऊर्जा विभाग को पेश किया गया है. इसलिए पहले 12 वर्ष के 19 हजार करोड रुपयों के काम होने पर भी फिर से उसी पध्दति से काम किये जाने से इसकी जांच पडताल करने के आदेश ऊर्जामंत्री नितीन राउत ने अधिकारियों को दिया था. जिसके तहत अनेक जगहों पर किये गए कामों में अनियमितता सामने आयी थी. नासिक में एक काम इससे पूर्व ही एक योजना में होने की जानकारी दी गई. फिर भी वह काम फिर से दिखाया गया. स्थानीक ठेकेदार व महावितरण के अधिकारियों ने 2 करोड रुपयों के फर्जी बिल तेैयार कर पैसे निकालने का प्रयास करने की जानकारी भी महावितरण के वरिष्ठ अधिकारियों के ध्यान में आयी. इस मामले की गंभीरता से दखल लेकर संबंधितों पर तत्काल कार्रवाई करने के आदेश राउत ने दिये. जलयुक्त शिवार योजना की जांच शुुरु रहते समय फडणवीस सरकार के दौर में बिजली यंत्रणाओं के 6500 करोड रुपयों के कार्यों की जांच भी शुरु होने से सरकार और भाजपा के बीच संघर्ष बढने की संभावना नजर आ रही है.

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