पुणे/दि.8 – राज्य में विगत दो-तीन वर्षों के दौरान करीब 30 फीसद यानी 90 लाख लीटर से दूध का संकलन घट गया है. वर्ष 2019 के दौरान राज्य के निजी व सहकार क्षेत्र में रोजाना औसतन 2 करोड 60 लाख लीटर दूध का संकलन हुआ करता था. जो दूध संकलन का सर्वाधिक स्तर था. वहीं अब यह रोजाना 1 करोड 70 लाख लीटर पर पहुंच गया है.
बता दें कि, कोविड संक्रमण काल के दौरान किसानों द्वारा मात्र 20 रूपये की दर से दूध की बिक्री की जा रही थी और दूध का उत्पादन घाटे का सौदा साबित हो रहा था. जिसके चलते वर्ष 2021 में ही दूध का संकलन घट गया था. हालांकि कोविड काल के दौरान बाजार में मांग ही नहीं रहने के चलते इसका बाजारपेठ पर कोई विशेष परिणाम नहीं हुआ. किंतु अब धीरे-धीरे स्थिति पहले की तरह सामान्य हो रही है. वहीं युक्रेन व रूस के बीच चल रहे युध्द के परिणाम स्वरूप वैश्विक बाजार में दूध पाउडर व बटर के दाम बढ गये है. जिसके चलते दूध की फूटकर बिक्री करने की बजाय अब पाउडर व बटर उत्पादन पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है. ऐसे में बाजार में कुछ हद तक दूध की खुली बिक्री घट गई है और जल्द ही खुले दूध की किल्लत भी हो सकती है.
वहीं दूसरी ओर गोवर्धन डेअरी के प्रमुख प्रीतम शाह के मुताबिक दुग्धजन्य पदार्थों के निर्यात को लेकर भारत में निरंतरता नहीं है. चूंकि यहां से नियमित तौर पर निर्यात नहीं होता. अत: दुनिया का कोई भी देश हमारे साथ करार नहीं करता. भारत से काफी कम पैमाने पर निर्यात होती है, जिसमें मुख्य तौर पर खाडी देशों व बांग्लादेश को ही निर्यात किया जाता है. वहीं युरोपियन देशों में अब तक हमारी पहुंच नहीं हो पायी है. हालांकि अब युक्रेन व रशिया द्वारा वैश्विक बाजार में दूध पाउडर व बटर का निर्यात नहीं किया जा सकेगा. इस बात के मद्देनजर व्यापारी वर्ग द्वारा अपने लिए संभावनाएं देखी जा रही है तथा दूध पाउडर व बटर का स्टॉक किया जा रहा है. इस समय वैश्विक बाजार में दूध पाउडर व बटर के दामों में करीब 60 फीसद वृध्दि हुई है, लेकिन देशांतर्गत मांग नहीं बढी है. देश में पाउडर की निर्यात बहुत अधिक नहीं हो रही है. इस बात के मद्देनजर गुजरात सरकार द्वारा 150 करोड रूपये का अनुदान दिये जाने की वजह से अमूल ने इस बार 1 हजार टन दूध पाउडर का निर्यात किया. सरकार द्वारा अनुदान दिये जाने पर पाउडर की निर्यात हो सकती है. वहीं अब धीरे-धीरे बटर का निर्यात भी नियमित हो रहा है. जारी वर्ष में अब तक करीब 20 हजार टन बटर का निर्यात हुआ है. ऐसे में कहा जा सकता है कि, धीरे-धीरे दुग्धजन्य पदार्थों के निर्यात में अच्छी-खासी संभावनाएं पैदा हो रही है.
- वैश्विक बाजारों में दुग्धजन्य पदार्थों की दरों में हुई वृध्दि का परिणाम हमारे यहां तुरंत नहीं दिखाई देगा. इस समय अमूल ने अपने बिक्री दर में 2 रूपये की वृध्दि की है. साथ ही गोकुल की दूध बिक्री दरों में भी थोडी वृध्दि होने की संभावना है. बाजार में बढती स्पर्धा के परिणामस्वरूप दूध उत्पादक किसानों से होनेवाली खरीदी की दरों में वृध्दि होती दिखाई दे रही है.
– प्रकाश कुतवल
अध्यक्ष, उर्जा दूध - दूध संकलन काफी अधिक घट गया है. कोविड काल के दौरान दुग्ध व्यवसाय घाटे का सौदा हो गया था. जिसके चलते इस व्यवसाय की ओर अनदेखी हुई. जिसके परिणाम स्वरूप संकलन और भी अधिक घट सकता है. ऐसे में संकलन को बढाने हेतु नियोजनपूर्वक प्रयास करने पर सफलता मिल सकती है. साथ ही सरकार द्वारा अनुदान दिये जाने पर दुग्धजन्य पदार्थों का निर्यात बढ सकता है.
– विनायकराव पाटील
पूर्व अध्यक्ष, महानंद