महाराष्ट्र

दिल्ली में जो हुआ उसे मोदी सरकार का अहंकार जिम्मेदार

कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष थोरात ने केंद्र पर साधा निशाना

मुंबई./दि.27 – कृषि कानून को विरोध करते हुए किसान 61 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे है. कडाके की ठंड में भी यह आंदोलन शुरु रहते समय देश के प्रमुख के रुप में नरेंद्र मोदी ने इस ऐतिहासिक आंदोलन की साधी दखल भी नहीं ली. दिल्ली में कल ट्रैक्टर रैली को हिंसक मोड मिला वह अयोग्य है. हिंसा का समर्थन नहीं करते आयेगा किंतु इस स्थिति को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की हट्टवादी व अहंकारी प्रवृत्ति जिम्मेदार रहने का सीधा आरोप महाराष्ट्र प्रदेश कांगेस कमिटी के अध्यक्ष तथा राजस्व मंत्री बालासाहब थोरात ने किया है. देश प्रजासत्ताक दिन मनाते समय प्रजा का प्रमुख देश के अन्नदाताओं की मांगों की ओर दुर्लक्ष कर रहा है. कानून वापस लेने की किसानों की भूमिका रहते समय सरकार मात्र चर्चा के नाम पर टाईम पास की नीति अपना रहा है. चर्चा के 10 राउंड होने के बाद भी सरकार किसी भी निर्णय तक नहीं पहुंची. उल्टा इस आंदोलन को खलिस्तानी के रुप में बदनाम करने का काम किया गया. मोदी सरकार ने किसानों का अंत देखा, इसी कारण दिल्ली में यह दुर्दैवी स्थिति निर्माण हुई, इस तरह का आरोप करते हुए केंद्र का नया कानून निवेशक व साठेबाजों के फायदों का है. केवल किसान ही नहीं तो जनता के भी विरोध का है, ऐसा थोरात ने कहा. दिल्ली की सीमा पर 61 दिन किसानों का अभूतपूर्व आंदोलन शुरु है. यह किसान पंजाब, हरियाणा समेत देशभर से आये हुए है. तीन काले कानून रद्द करने की उनकी मांग है. देश जब भूखा था तब जीन किसानों ने देश को अनाज सप्लाई किया यह वे किसान है. ठंड हवा में वे दो महिने आंदोलन कर रहे है. किसान चर्चा से थकने चाहिए, ऐसा केंद्र सरकार का प्रयास दिख रहा है. किसानों का अंत देखा जा रहा है, वे आज अलग मार्ग से गए, उस मार्ग से नहीं जाना चाहिए, हिंसा से कोई भी समस्या हल नहीं होती, यह महात्मा गांधी का देश है. शांति का मार्ग न छोडे, इस तरह का आह्वान थोरात ने किया है.

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