वायू प्रदूषण से देश में एक वर्ष में 16 लाख से अधिक मौतें
हेल्थ इफेक्ट द इन्स्टिटयूट की ग्लोबल एअर रिपोर्ट
नागपुर/दि.7– देश में वायू प्रदूषण के प्रदीर्घ प्रभाव के कारण वर्ष 2019 इस एक वर्ष में 16 लाख से अधिक मौते हुई है. युएस आधारित हेल्थ इफेक्ट द इन्स्टिटयूट द्वारा ग्लोबल एअर 2020 के निरीक्षण से यह जानकारी सामने आयी है. स्वास्थ्य व कुटूंब कल्याण प्रशिक्षण केंद्र नागपुर के प्राचार्य डॉ. श्रीराम गोगुलवार ने वैश्विक स्वास्थ्य दिन पर्व पर संबंधित रिपोर्ट साझा की.
कार्बनडॉय ऑक्साईड, मिथेन व नाईट्रोजनडाय ऑक्साईड जैसे प्रदूषकों के संयोग के कारण वायू प्रदूषण होता है. कारखाने व वाहनों के कारण सर्वाधिक वायू प्रदूषित होती है. वायू प्रदूषण के दीर्घकालीन प्रभाव के कारण वर्ष 2019 में 16 लाख लोगों की मौत हुई. इनमें 1.16 लाख ऐसे बालक है, जिनकी आयु एक महिने से कम थी. इन मौतों का कारण पक्षाघात, हृदयविकार, मधुमेह आदि रहने के बावजूद भी इन मौतों के लिए वायू प्रदूषण प्रत्यक्ष जिम्मेदार रहने की बात डॉ. गोगुलवार ने बतायी.
* ध्वनिप्रदूषण से मानसिक स्वास्थ्य पर परिणाम
वाहनों के कर्कश आवाज, डीजे, शादी समारोह में बजनेवाले यंत्र, साईरन, पटाखे, इमारतों का निर्माण, औद्योगिकरण, जनरेटर सेट, स्पीकर, म्युझिक सिस्टम, टीवी-रेडिओ तथा अन्य यांत्रिकी उपकरणों के कारण होनेवाले आवाज से बडी मात्रा में ध्वनि प्रदूषित होकर इन्सान के मानसिक स्वास्थ्य तथा प्राणियों के शरीर पर भी इसके विपरित परिणाम होते है. जल्द गुस्सा आना, ब्लड प्रेशर बढना, धडकने बढना, लक्ष्य विचलित होना, कार्यक्षमता कम होना, चिढचिढापण, पाचन क्रिया में बदलाव सहित गर्भ में बच्चे पर भी इसका असर दिखता है. जो कर्मचारी बडे आवाजवाले यंत्रों के पास काम करते है, उन्हें वृध्दापकाल में बहरा होने का धोखा बढ जाता है.
* हॉर्न व डीजे का इस्तेमाल कम करें
वर्तमान में हर वाहन चालक को वाहनोें के हॉर्न का इस्तेमाल कम करने की अपील जरूरी है. प्रत्येक वाहन चालक अपने वाहन का हॉर्न कई बार बेवजह बजाता है. जिससे बडी संख्या में ध्वनिप्रदूषण होता है. रात को 10 के बाद डीजे का इस्तेमाल टाले, वायु प्रदूषण टालने के लिए अधिक से अधिक पौंधें लगाकर उन्हें बचाये. प्राणवायू देने वाले पौंधें लगाने का नियोजन करें, मानसिक संतुलन बनाये रखने के लिए संगीत का सहारा लें, यह अपील भी डॉ. गोगुलवार ने की.
* दुषित पानी से 80 प्रतिशत बीमारियां
दुषित पानी के कारण कॉलरा, विषमज्वर, पिलिया जैसी बीमारियां होती है. लगभग 80 प्रतिशत पेट की बीमारियां दुषित पानी पीने के कारण होती है. देश में 80 प्रतिशत जलस्त्रोत प्रदूषित है. इस पानी का मनुष्य के स्वास्थ्य को विपरित असर होता है. औद्योगिकरण के चलते दुषित पानी पीने के पानी में शामिल होकर तथा खेती को लगने वाले रासायनिक खाद, कीटक नाशक, मिश्रीत पानी, कूएं व तालाब के संपर्क मेें आकर वहां का पानी प्रदूषित होता है. यह पानी पीने से कैंसर, त्वचारोग, मानसिक बीमारियां होती है. रोज निकलने वाला कचरा, प्लास्टिक की बोतले, निर्माल्य आदि से भी पानी दुषित होता है, ऐसा डॉ. गोगुलवार ने बताया.