महाराष्ट्र

दम घुटने से 8 वर्ष में 400 से अधिक कर्मचारियों की मौत

कब थमेगा मृत्यु सत्र? देशभर में 7.94 लाख कर्मचारियों की जान धोखे में

नागपुर/दि.13– सिर पर मैला ढोणे व वयक्तिकरुप से ड्रेनेज चेंबर में सफाई करने पर (मॅन्युअल स्कॅव्हॅजिंग) देश में प्रतिबंध है. इसके लिए संसद में 2013 में कानून भी हुआ, फिर भी यह प्रथा अनधिकृत रुप से कायम है. इसमें ही गत 8 वर्ष की कालावधि में देशभर में 400 से अधिक सफाई कर्मचारियों की दम घुटने से मृत्यु हुई है. किसी भी प्रकार के सुरक्षा साधन के बगैर धोखादायक स्थिति में गडर के चेंबर में उतरने से विषैली गैस से होने वाली मृत्यु का सत्र जारी ही है.
केंद्रीय सामाजिक न्याय राज्यमंत्री रामदास आठवले ने मॅन्युअल स्कॅव्हॅजिंग के कारण विगत पांच वर्षों में एक भी मौत न होने की जानकारी जुलाई 2021 में दी थी. इस वक्तव्य के कारण सफाई कर्मचारिायों के लिए काम करने वाली संगठना के कार्यकर्ताओं में तनाव बढ़ा है. टाटा इन्स्टिट्युट ऑफ सोशल सर्वे अन्य वेबसाइट के माध्यम से आकड़ेवारी प्रस्तुत कर इस संगठना ने सच सामने लाया है.
2015 की आकड़ेवारीनुसार करीबन 7.14 लाख कर्मचारी देशभर में इस तरह का काम कर रहे हैं. इनमें सर्वाधिक 63,713 महाराष्ट्र में व उसके बाद उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश व कर्नाटन में हैं. गत पांच-छह वर्षों में इसमें बढ़ोत्तरी होने की संभावना है.
* आकड़ेवारी में तफावत
सामाजिक न्याय मंत्रालय एवं वेबसाइट इन दोनों की आकड़ेवारी में तफावत है. मंत्रालय की आंकड़ेवारी के अनुसार 31 दिसंबर 2020 तक गत पांच वर्षों में देशभर में 340 कर्मचारियों की दम घुटने से मृत्यु हुई है. इसके लिए कर्मचारियों द्वारा दुर्लक्ष किया जाना, दुर्घटना आदि कारण बताये जा रहे हैं. दोषी व जिम्मेदार कौन, इसकी रिपोर्ट नहीं. तो वेबसाइट की आकड़ेवारीनुसार गत 10-12 वर्ष में 1,,013 व्यक्तियों की सेप्टिक टैंक में दम घुटने से मौत दर्ज है. इसमें भी किसी पर दोषारोप या सजा का उल्लेख नहीं है.
* दोषी कौन, कौन जिम्मेदार?
प्रोहिबिशन ऑफ एम्र्‍लॉयमेंट एंड मॅन्युअल स्कॅव्हेंजर एंड वेअर रिहॅबिलिटेशन एक्ट 2013 नुसार इस प्रथा पर प्रतिबंध है. फिर भी कानून के खिलाफ काम शुरु ही है. प्रशासकीय यंत्रणा के कर्मचारी या ठेकेदार मार्फत यह काम होता है. जाति प्रथा, परंपरा, अशिक्षितता व गरीबी के कारण अनेकों के पास पर्याय नहीं. इस अनधिकृत काम की जानकारी नहीं रहती. कोई जिम्मेदारी भी नहीं लेता. ठेकेदार द्वारा सुरक्षा साधनों की आपूर्ति भी नहीं होती. अनेक प्रकरणों में मृत्यु दर्ज नहीं की जाती.
* आकड़ों की तफावत
– सामाजिक न्याय मंत्रालय की आंकड़ेवारी
– 31 दिसंबर 2020 तक गत पांच वर्ष में देशभर में 340 कर्मचारियों की दम घुटने से मृत्यु
-उत्तर प्रदेश 52
-तमिलनाडु 42

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