महाराष्ट्र

राज्य के 50 प्रतिशत से अधिक महिलाएं एनिमियाग्रस्त

विदर्भ का प्रमाण चिंताजनक

  • 15 से 49 आयु उम्र के स्वास्थ्य का अभ्यास

मुंबई/दि.22 – राज्य की 50 प्रतिशत से अधिक महिलाओं में रक्तक्षय (एनिमिया) का प्रमाण बढ़ते दिखाई दिया है. विदर्भ में यह प्रमाण सर्वाधिक होने की चिंताजनक बात सामने आयी है.
पुणे के गोखले इन्स्टिट्युट ऑफ पॉलिटिक्स एंड इकोनॉमिक्स के कौस्तव घोष और अगरतला के नेशनल इन्स्टिट्युट ऑफ टेक्नॉलॉजी के मिथुन मॉग इन दोनों ने राज्य के सभी जिलों के 15 से 49 आयु उम्र की महिलाओं के स्वास्थ्य का अभ्यास किया. क्लिनिकल एपिडेमिओलॅजी एंड ग्लोबल हेल्थ में प्रकाशित हुए दोनों के संशोधन रिपोर्ट में केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग के रिपोर्ट की सांख्यिकी जांच का इस्तेमाल किया गया है.
रक्तक्षय का मुख्य कारण यानि आहार में लोह, फॉलिक एसिड, वीटामिन बी-12 और प्रथिना का अभाव होना है. इस अहवालनुसार र ाज्य की 54.2 प्रतिशत महिलाओं को रक्तक्षय की बीमारी है. 2014-15 की तुलना में 2019-20 दरमियान इस रक्तक्षय के प्रमाण में 6.2 प्रतिशत से बढ़ोत्तरी हुई है.
सन 2014-15 की रिपोर्टनुसार नंदुरबार की 60.22 प्रतिशत महिलाओं को रक्तक्षय होने की बात सामने आयी है. वहीं 2019-20 में गडचिरोली की 66.20 प्रतिशत महिलाओं को रक्तक्षय हुआ, वाशिम जिले में इसका प्रमाण सबसे कम 35.46 प्रतिशत है. गत पांच वर्षों में जिले में रक्तक्षय होने की प्रमाण कम होने की सकारात्मक बात सामने आयी है.इसमें मुंबई, मुंबई उपनगर, सांगली, रत्नागिरी और सिंधु दुर्ग इन जिलों का समावेश है. वहीं दूसरी ओर रक्तक्षय का सर्वाधिक संसर्ग वाले जिलों में गडचिरोली, जलगांव, वर्धा, धुले, यवतमाल, परभणी का समावेश है.

कैसे करें सामना?

महिलाओं को रक्तक्षय का विविध आघाड़ियों पर सामना करना पड़ता है. महिलाओं की शिक्षा सुधारना, बार-बार वैद्यकीय जांच करना, पौष्टिक अन्न, समुपदेशन करना, लोह, बी कॉम्प्लेक्स गोलिया वितरित कर ने आदि एनिमिया टालने के लिये आवश्यक है. मासिक धर्म के दरमियान अधिक रक्तस्त्राव, आययुडी के कारण होने वाला रक्तस्त्राव व ऐसी समस्याओं बाबत महिलाओं को स्त्रीरोग तज्ञ की सलाह ले उपचार लेना जरुरी है.

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