पुणे/दि.24- संपूर्ण देश में कुल 311 नदियां प्रदूषण के कारण खतरे में है. जिसमें राज्य के 55 नदियों का समावेश है. मुंबई की मिठी, पुणे की मूला-मुठे समेत अन्य नदी प्रदूषित रहने की बात केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल की (सीपीसीबी) रिपोर्ट से स्पष्ट हुई है.
सीपीसीबी के जल गुणवत्ता व्यवस्थापन विभाग व्दारा ‘पोल्युटेड रिव्हर स्ट्रेचेस फॉर रिस्टोरेशन ऑफ वॉटर क्वालिटी’ यह रिपोर्ट तैयार की गई है. इसमें देशभर की 603 नदियों का विश्लेषण किया गया है. इसमें से 30 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश की 279 नदियों में से 311 नदी प्रदूषित पाई गई है. इसमें सर्वाधिक 55 प्रदूषित नदियां महाराष्ट्र में है. पश्चात मध्यप्रदेश में 25, बिहार और केरल प्रत्येकी 18, कर्नाटक और उत्तरप्रदेश 17 नदियाेंं का प्रदूषण का प्रमाण अधिक है. राज्य के भीमा, मिठी, मुठा, सावित्री, गोदावरी, कन्हान, मुला, पौना, इंद्रायणी, अंबा, अमरवती, बोरी, बुराई, भातसा, बिदुसरा, चंद्रभागा, दारणा, घोड, गोमाई, गिरणा, हिवरा, कलू, कन, कोलार, कोयना, कृष्णा, कुंडलिका, मंजिरा, मोर, मोरणा, मूचकुंडी, निरा, पांझरा, पातालगंगा, पैनगंगा, पेढी, पेहलर, पूर्णा, रंगावली, सीना, सूर्या, तानसा, तापी, तितूर, उल्हास, उरमोडी, वैतरणा, वशिष्टि, वेण्णा, वाघुर, वर्धा आदि नदियों के कुछ भाग प्रदूषित रहने की बात रिपोर्ट में दर्ज की गई है. ऐसा रहा तो भी वर्ष 2018 की तुलना में फिलहाल नदी पट्टों के प्रदूषण में कमी आने की सकारात्मक बात रिपोर्ट में सामने आई है. वर्ष 2018 में 351 नदियों में से 311 नदी पट्टे प्रदूषित थे.
प्रदूषण किस वजह से?
शहर और उद्योगों का गंदा पानी नदी में छोडा जाता है. इसमें के रासानिक घटक और अन्य वस्तुओं के कारण नदी का पानी भारी मात्रा में दूषित होता है. पर्याय के तौर पर इन इलाकों की नदी की परिसंस्था खतरे में आती है और इसका दुष्परिणाम निसर्ग और मनुष्य के स्वास्थ्य पर होता है.