महाराष्ट्र

अमरावती संभाग के एक भी सरकारी अस्पताल में एमआरआय नहीं

विधायक डॉ. रणजीत पाटील का आरोप

* अनुशेष को लेकर घेरा सरकार को
मुंबई/दि.24- कोविड संक्रमण काल के दौरान यद्यपि सरकार द्वारा स्वास्थ्य सुविधाओं की ओर बडे पैमाने पर ध्यान दिये जाने की बात कही जा रही है, लेकिन अमरावती में स्वास्थ्य सुविधाओं का अनुशेष लगातार बढ रहा है और संभाग के किसी भी सरकारी अस्पताल में एमआरआय निकालने की सुविधा उपलब्ध नहीं है. इस तरह का यह समूचे राज्य में अकेला संभाग है. ऐसा आरोप विधान परिषद सदस्य डॉ. रणजीत पाटील द्वारा गत रोज लगाया गया.
विधान मंडल के बजट सत्र दौरान पश्चिम विदर्भ के अनुशेष को लेकर चर्चा में शामिल होते हुए डॉ. रणजीत पाटील ने अनुशेष से संबंधित विभिन्न आंकडे सभागृह में पेश किये. उन्होंने कहा कि, अमरावती संभाग के अस्पतालों में मशीनें तो उपलब्ध है, किंतु वे मशीनें बंद पडी है और उनका उपयोग विगत दो वर्षों से नहीं किया जा सका है. वेतन अदा करना पडेगा, इस डर की वजह से सुपर स्पेशालीटी अस्पताल के आकृतिबंध को मंजूर नहीं किया गया. ऐसे में सुविधा उपलब्ध रहने के बावजूद भी कोविड संक्रमण काल के दौरान नागरिकों को इलाज के लिए इधर से उधर भटकना पड रहा था.
* 12 फीसद पर ही रूकी सिंचाई
इस समय विधायक डॉ. रणजीत पाटील ने कहा कि, राज्यपाल ने अपने विशेषाधिकार का प्रयोग करते हुए अमरावती संभाग का बैकलॉग दूर करने हेतु 1 हजार 600 करोड रूपये आरक्षित रखने का निर्देश दिया था. वर्ष 1960 से 1960 तक राज्य में सिंचाई को लेकर संतुलन था, लेकिन वर्ष 1980 के बाद पश्चिम विदर्भ क्षेत्र में सिंचाई 12 फीसद पर ही रूक गई. ऐसे में पश्चिम विदर्भ क्षेत्र का सिंचाई अनुशेष दूर करने हेतु सरकार ने अमरावती संभाग में संरक्षित सिंचाई की व्यवस्था करनी चाहिए. उन्होंने बताया कि, पूर्णा नदी पर बैरेज का काम पूर्ण हो चुका है, लेकिन विगत ढाई वर्ष से जल वितरण करनेवाली नहरों का काम अधर में अटका पडा है. जिसे लेकर सरकार कोई फैसला नहीं ले पायी. ऐसे में सरकार से किसानों के लिए किस न्याय की उम्मीद की जा सकती है.
* केवल 50 फीसद किसान आत्महत्याओं में सहायता
पूर्व गृह राज्यमंत्री व विधायक डॉ. रणजीत पाटील ने सदन में कहा कि, पश्चिम विदर्भ में जहां एक ओर सिंचाई का अनुशेष बढ रहा है, वहीं दूसरी ओर किसान आत्महत्याओं के मामले भी लगातार बढ रहे है. वर्ष 2020-21 के दौरान समूचे राज्य में 2 हजार 547 किसान आत्महत्याएं हुई है. जिसमें से अकेले पश्चिम विदर्भ में ही 1 हजार 128 किसान आत्महत्याएं हुई थी. यानी समूचे राज्य में होनेवाली कुल किसान आत्महत्याओं में से 40 फीसद आत्महत्याएं अकेले अमरावती संभाग में हुई है. लेकिन इसमें से केवल 50 फीसद आत्महत्याग्रस्त किसान परिवारों को ही सरकारी सहायता के लिए पात्र माना गया. वहीं शेष आत्महत्याग्रस्त किसान परिवार अब भी सरकारी सहायता से वंचित है.

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