मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह पर लगा 25 हजार रुपए का जुर्माना
चांदीवाल कमेटी के सामने नहीं हुए थे पेश
मुंबई/दि.19 – मुंबई के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह पर 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया है. वसूली केस में जांच कर रही एक सदस्यीय जांच टीम के प्रमुख और बॉम्बे हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस कैलास उत्तमचंद चांदीवाल ने परमबीर सिंह पर ये जुर्माना लगाया है. उन पर आरोप है कि कई बार बुलाने के बावजूद वे कमेटी के सामने पेश नहीं हुए थे. जांच कमेटी ने परमबीर को एक आखिरी मौका देते हुए तय समय पर उनके सामने पेश होने को कहा है, नहीं तो उन पर और भी कड़ी कार्रवाई की जा सकती है.
परमबीर को भेजे गए नए समन में कहा गया है कि वे अगले तीन दिन में कोविड-19 के लिए बने मुख्यमंत्री राहत कोष में 25 हजार रुपए जमा करवाएं. समन में साफ़ कर दिया गया है कि उनके पेश नहीं होने से जांच को नहीं रोका जाएगा, अब कमेटी ने परमबीर को 25 अगस्त को उनके सामने पेश होने को कहा है. राज्य के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ परमबीर सिंह द्वारा लगाए गए 100 करोड़ की वसूली के आरोपों की न्यायिक जांच करने के लिए महाराष्ट्र सरकार द्वारा एक सदस्यीय जांच समिति का गठन 30 मार्च को किया गया था. इसी मामले में तीन मई को जारी एक अधिसूचना में राज्य सरकार ने जांच समिति को सिविल कोर्ट की शक्तियां प्रदान की हैं.
परमबीर सिंह की तरफ से उनके वकील संजय जैन और अनुकुल सेठ ने बुधवार को समिति को बताया था कि भेजे गए समन को बॉम्बे उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी गई है. इस मामले की अगली सुनवाई 23 अगस्त को होनी है, इसलिए सुनवाई पूरी होने तक परमबीर की पेशी को टाल देना चाहिए. समिति की ओर से पेश वकील शिशिर हिरे ने बताया कि परमबीर सिंह की याचिका के अलावा, मुंबई के एक वकील इशांत श्रीवास्तव ने समिति के गठन को चुनौती देते हुए एक जनहित याचिका भी दायर की थी. समिति ने पहले भी सिंह पर समिति के समक्ष पेश नहीं होने के लिए 5,000 रुपये का जुर्माना लगाया था। यह दूसरी बार है जब सिंह पर जुर्माना लगाया गया है
न्यायमूर्ति चांदीवाल ने कहा, “आयोग सिर्फ एक वैधानिक प्राधिकरण है और यह कोई निर्णय नहीं सुनाने जा रहा है. हम सिर्फ सिफारिश कर सकते हैं.” इससे पहले जुलाई 2021 में परमबीर सिंह ने समिति की स्थापना के तरीके पर सवाल उठाया था. इसे न्यायमूर्ति चांदीवाल ने खारिज करते हुए कहा था कि जांच समिति ठीक वही कर रही है, जो सीबीआई परमबीर सिंह और बर्खास्त एपीआई सचिन वझे द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच के संदर्भ में कर रही है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार और देशमुख द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिसमें बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी. अदालत ने देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो(CBI) की FIR को रद्द करने से इनकार कर दिया है.