मराठवाड़ा,विदर्भ,मुंबई की लड़कियों की जन्मसंख्या लड़कों की तुलना में चिंताजनक
लातुर/दि.15– मराठवाड़ा, विदर्भ एवं मुंबई की लड़कियों का जन्मदर लड़कों की तुलना में अत्यंत चिंताजनक होने की जानकारी राज्य गर्भधारणा पूर्व व प्रसूति पूर्व निदान तंत्र लिंग चयन प्रतिबंध समिति के अशासकीय सदस्य डॉ. आशा मिरगे, वैशाली मोटे ने सोमवार को दी. महाराष्ट्र में 2020-21 में जन्म से पूर्व ही लड़कियों का गर्भ में ही मृत्यु हुई. यह प्रमाण कुल लड़कियों की जन्मदर के 4.8 प्रतिशत तो देश में 3.6 प्रतिशत होने की जानकारी भी डॉ. मिरगे, मोटे ने दी.
जिला शल्य चिकित्सक कार्यालय में आयोजित पत्रकार परिषद में वे बोल रही थी. इस समय जिला शल्य चिकित्सक डॉ. लक्ष्मण देशमुख, समिति के सदस्य डॉ. अजय जाधव, आशा भिसे आदि उपस्थित थे.
1961 की जनगणनानुसार राज्य में एक हजार लड़कों की तुलना में लड़कियों की जन्मदर 978 तो देश में 976 था. 2011 की जनगणनानुसार यह दर राज्य में 894 तो देश में 918 रहा. लड़कियों की जन्मदर लड़कों की तुलना में अत्यंत कम रहने से महाराष्ट्र में पीसीपीएनडीटी कानून लागू किया गया. पश्चात वह देश में लागू हुआ.
लातुर जिले में लड़कियों की जन्म संख्या कितनी?
सोनोग्राफी तकनीकी आने से पूर्व 9 प्रतिशत जन्म लिये बालकों में अपंगत्व होने का प्रमाण था. सोनोग्राफी के बाद ऐसे बालकों का जन्म नहीं होगा, इस बात की दखल ली जाने लगी. मात्र इनमें लड़का या लड़की यह मालूम होेने पर नई समस्या का उदय हुआ. 2018-19 में लातूर जिले के देवणी तहसील की लड़की की जन्मदर 788, जलकोट 937, शिरुर अनंतपाल 1 हजार 4 तो औसा 886 ऐसा रहा. यही जन्मदर 2019-20 में औसा 975, देवणी 806, जलकोट 843 तो शिरुर अनंतपाल 869 ऐसा रहने की जानकारी डॉ. मिरगे ने दी.