महाराष्ट्र

आज राष्ट्रीय गणित दिन

अधिकांश बच्चों में पालकों के कारण ही विषय को लेकर भय

नागपुर/दि.22– गणित यानि कठिन विषय, ऐसा प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रुप से पालक व शिक्षक ही बच्चों के मन में भय निर्माण करते हैं. लेकिन गणित को यदि दैनंदिन जीवन से जोड़कर सीखने का प्रयास करने पर गणित में दिक्कत नहीं होगी, ऐसे विचार गणित तज्ञों ने व्यक्त किये. राष्ट्रीय गणित दिन निमित्त गणित विषय पर तज्ञों से संवाद साधने पर उन्होंने गणित विषय की ओर देखने की दृष्टि बदलने की आवश्यकता व्यक्त की.
राष्ट्रीय गणित दिन की शुरुआत 2012 में सुप्रसिद्ध गणित तज्ञ रामानुजन की 125 वीं जयंती निमित्त की गई. तब से प्रति वर्ष 22 दिसंबर को राष्ट्रीय गणित दिन के रुप में मनाया जाता है. गणितज्ञ विवेक वाघ ने कहा कि गत 10-15 वर्षों के अभ्यास पर से यह ध्यान में आया है कि गणित का भय यह बच्चों के दिल में न होकर उनके पालकों व शिक्षकों के मन में होता है. सिर्फ मौखिक आंकड़े गिनना या पहाडे याद करने यानि गणित आया, यह सबसे बड़ी गलतफहमी है. गणितीय कौशल्य नाम की कुछ संकल्पना होती है इस बारे में अनेक पालकों व बच्चों को ज्ञात नहीं है. गणित कैसे सीखाना, यह पहले पालकों व शिक्षकों ने समझना चाहिए. गणित का डर कम करने के लिए पालकों की पढ़ाई महत्वपूर्ण है. माफक व सातत्यपूर्ण सराव करने पर 6 महीने में गणित का भय दूर होना सहज संंभव है. ऐसे कहते हुए उन्होंने कुछ सूचना भी दी.
* इस तरह निर्माण होगी इच्छा
– गणित यह घबराने का कठिन विषय है. ऐसा पालकों ने बच्चों से बार-बार नहीं कहना चाहिए.
– दैनंदिन जीवन में गणित किस तरह काम आ सकता है, इस बारे में जानकारी दें.
– अधिक सराव की जिद न करें, रोज दो नये प्रकार के गणित हल करवाने चाहिए.
– केवल दस तक पहाडे आना जरुरी. इसके बदले बच्चों को पहाडे कैसे तैयार होते हैं, इसका प्रशिक्षण दें.
– छोटे बच्चों को खेल के माध्यम से संख्या की पहचान कराये लिखाई पर जोर न दे.
– बच्चों को प्रोत्साहित करें, उन्हें उनके काम निमित्त अभिप्राय दें.

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