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बालासाहब के सिंहासन की कीमत 10 हजार!

मुंबई दि.2– जिस कुर्सी पर बैठकर शिवसेना प्रमुख और हिंदू हृदयसम्राट बालासाहब ठाकरे ने सामान्य व्यक्ति को नगरसेवक, नगराध्यक्ष, विधायक, सांसद, मंत्री और मुख्यमंत्री सहित अनेक पदों तक पहुंचाया. उस सिंहासन की क्या कोई कीमत हो सकती है? इसका जवाब भारत वर्ष के अनेकानेक लोग, अधिकांश लोग ना में ही देंगे. बालासाहब जिस कुर्सी पर विराजमान रहते, वह उन्हें जानने और मानने वालों के लिए एक अनमोल धरोहर है. अमूल्य थाती है. किंतु सरकार के एक महकमे ने इस सिंहासन की भी अनुमानित कीमत लगाई है. भ्रष्टाचार प्रतिबंधक विभाग अर्थात एसीबी ने बालासाहब की कुर्सी की कीमत 10 हजार रुपए आंकी है. जिससे प्रबल शिवसैनिकों में नाराजगी देखी जा रही है. स्वयं विधायक राजन सालवी ने भी इस पर रोष और दुख व्यक्त किया है. सालवी ने वीडियो जारी कर एसीबी की हरकत को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है.
* चार वर्ष तक पूजा
सालवी ने बताया कि पुराने शिवसेना भवन में बालासाहब ठाकरे की यह कुर्सी रखी थी. जिसे वे बालासाहब के प्रति अपनी अगाध श्रद्धा के कारण सम्मानपूर्वक अपने घर ले गए. उसे घर में योग्य स्थान पर न केवल रखा, अपितु उनके पुत्र अथर्व ने बालासाहब की सुंदर तस्वीर बनाई. यह तस्वीर सिंहासन पर रखकर सालवी परिवार नित्य पूजन, अर्चन करता था.
* एसीबी ने किया जब्त
राजन सालवी ईडी और एसीबी के रडार पर रहे. जिसके कारण पिछले दिनों उनके घर और दफतरों पर बारंबार छापेमारी की गई. इसी दौरान उनके घर पर रखी बालासाहब की वह कुर्सी भी एसीबी ने जब्त की. किंतु मूल्यांकन दौरान एसीबी ने बालासाहब के इस सिंहासन की कीमत 10 हजार रुपए आंकी. यह बात पता चलते ही राजन सालवी को बडा दुख हुआ. वे आक्रोशित भी हुए हैं. उन्होंने अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए कहा कि जिस सिंहासन पर विराजमान होकर बालासाहब ने सामान्य शिवसैनिक को नगरसेवक, नगराध्यक्ष, विधायक, मंत्री, उपनेता जैसे पदों पर पहुंचाया. शिवसेना को राज्य में बलशाली बनाया. शिवशाही साकार की. ऐसे सिंहासन तो उनकी नजर में अनमोल है, अमूल्य है. उसकी कोई कीमत कैसे लगा सकता है. सालवी ने कहा कि देवतुल्य बालासाहब का यह अपमान है. वे ऐसे लोगों को कभी क्षमा नहीं कर सकेंगे.
* सिंहासन भेजा था मीडिया कार्यालय
बालासाहब की कुर्सी का जिक्र छिडा तो लगे हाथ उनका एक प्रसंग भी बता दें. बालासाहब ठाकरे अपनी तेज तर्रार दो टूक के लिए जाने जाते थे. उन्होंने 2006 में शिर्डी स्थित साई बाबा मंदिर में साई बाबा के लिए चांदी के स्थान पर सोने का सिंहासन रखने के ट्रस्ट के प्रस्ताव का विरोध किया था. समाचार पत्रों ने बालासाहब के विरोध पर प्रश्न उपस्थित किए. यह भी कहा था कि खुद चांदी का सिंहासन रखने वाले शिवसेना प्रमुख ट्रस्ट के इस प्रस्ताव का विरोध कैसे कर सकते हैं? यह समाचार पढते ही बालासाहब ने अपना चांदी का सिंहासन समाचार पत्र के संपादक के कार्यालय में भिजवा दिया था. बाद में अखबार ने बालासाहब ठाकरे को उनका सिंहासन ससम्मान लौटाया था. ठाकरे ने स्पष्ट किया था कि शिवसेना की भारतीय कामगार सेना ने यह सिंहासन उन्हें उपहार में दिया है. सिंहासन लकडी का है इस पर चांदी की सिर्फ परत चढी है.
* लोगों में भी रोष
अमरावती मंडल न्यूज ने आम शिवसैनिक से लेकर सामान्य जनों तक बात की. बालासाहब की कुर्सी को सभी ने अनमोल बताया. यह भी कहा कि वह सिंहासन केवल शिवसैनिक ही नहीं हम सभी के लिए भी पूजनीय है. पूजा की वस्तु की कीमत कैसे हो सकती है. वह अनमोल रहती है. उसका मूल्य कोई नहीं अदा कर सकता.

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