महाराष्ट्र

राज्य की सभी शालाओं में आगामी सत्र से नई शिक्षा नीति

शिक्षा एवं क्रीडा विभाग ने जारी किया अध्यादेश

मुंबई /दि.17– राज्य के स्कूलों में शैक्षणिक सत्र 2025-26 से चरणबद्ध तरीके से नई शिक्षा नीति लागू की जाएगी. इसी सत्र से पहली कक्षा के लिए नई पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध कराई जाएंगी. इसके बाद 2026-27 शैक्षणिक सत्र के दौरान दूसरी, तीसरी और छठवीं कक्षा की नई पाठ्यपुस्तकें पाठ्यक्रम का हिस्सा बनेंगी. शैक्षणिक सत्र 2027-28 से पांचवीं, सातवीं, नौवीं और ग्यारहवीं की पाठ्यपुस्तकें बदलेंगी, जबकि शैक्षणिक सत्र 2028-29 में आठवीं, दसवीं और बारहवीं की नई पाठ्यपुस्तकों के साथ नई शिक्षा नीति पूरे पाठ्यक्रम का हिस्सा हो जाएगी. राज्य के स्कूली शिक्षा एवं क्रीड़ा विभाग ने बुधवार को नई शिक्षा नीति लागू करने को लेकर परिपत्र जारी किया. इसके अनुसार, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की किताबों में राज्य के मुताबिक जरूरी बदलाव कर पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाएगा.
नई शिक्षा नीति के तहत राज्य में स्कूली शिक्षा को चार हिस्सों में बांटा गया है. बालवाटिका के तीन वर्ष (केजी) और पहली, दूसरी कक्षा को बुनियादी स्तर माना गया है. तीन से आठ वर्ष के बच्चों को इन कक्षाओं में शिक्षा मिलेगी. आठ साल से 11 साल यानी तीसरी से पांचवीं तक को पूर्व तैयारी स्तर, 11 से 14 साल के छठवीं, सातवीं और आठवीं कक्षा को पूर्व माध्यमिक स्तर और 14 से 18 वर्ष यानी नौवीं से 12वीं तक के चार वर्षों को माध्यमिक स्तर में रखा गया है. यानी शिक्षा को 5+3+3+4 के स्तर में बांटा गया है.

* मराठी, अंग्रेजी स्कूलों में में हिंदी भाषा अनिवार्य
राज्य सरकार की ओर से जारी परिपत्र में कहा गया है कि फिलहाल मराठी और अंग्रेजी माध्यम के सभी व्यवस्थापन के स्कूलों में सिर्फ दो भाषाएं पढ़ाई जाती हैं, लेकिन नई नीति के मुताबिक पहली से पांचवीं कक्षा तक के मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में हिंदी भाषा की पढ़ाई अनिवार्य होगी, जबकि दूसरे माध्यम के स्कूलों में माध्यम की भाषा के साथ मराठी और अंग्रेजी अनिवार्य होगी.

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