एनआईए ने यूरेनियम बरामदगी मामले की जांच शुरु की
गृहमंत्रालय के आदेश के बाद दर्ज की एफआईआर
मुंबई/दि.10 – महानगर में मिले 21 करोड़ रुपए के यूरेनियम मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजंसी (एनआईए) अपने हाथ में ले ली है. बुधवार को महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने जिगर पंड्या और अबू ताहिर चौधरी नाम के दो आरोपियों को गिरफ्तार किया था. आरोपियों के पास से 7 किलो 100 ग्राम प्राकृतिक यूरेनियम बरामद की गई थी जिसकी बाजार में कीमत 21 करोड़ 30 लाख रुपए है. राष्ट्रीय जांच एजंसी की ओर से रविवार को जारी बयान में कहा गया है कि शनिवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश के बाद इस मामले में नये सिरे से एफआईआर दर्ज की गई है.
एनआईए ने मामले की छानबीन शुरु कर दी है. इससे पहले एटीएस ने कालाचौकी पुलिस स्टेशन में एटॉमिक एनर्जी एक्ट की धारा 24 (1) के तहत एफआई आर दर्ज की थी. दरअसल यूरेनियम का इस्तेमाल परमाणु बम बनाने के लिये किया जा सकता था. इसलिए इतनी बड़ी मात्रा में यूरेनियम की बरामदगी से सरकार और जांच एजंसियों के कान खड़े हो गए हैं. आरोपियों के बारे में एटीएस को तब भनक लगी जब पांड्या यूरेनियम को बेचने के लिए ग्राहक की तलाश कर रहा था. पकड़ा गया एक आरोपी भंगार व्यवसायी है और यूरेनियम की खेप भी भंगार के गोदाम से बरामद हुई है. इसलिए आशंका है कि दूसरे देशों से आने वाले भंगार के जरिए यह यूरेनियम आरोपियों तक पहंचा हो,लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि बंदरगाह से बिना किसी जांच के यूरेनियम भंगार डीलर तक कैसे पहुंच गया. यूरेनियम की पहचान के लिए भी विशेषज्ञता और संसाधन लगते हैं.