विकास कामों के दम पर नितिन गडकरी ने बचाया अपना गढ
नागपुर संसदीय क्षेत्र के सभी 6 विधानसभा क्षेत्रों तक पहुंचे
* प्रत्येक कार्यकर्ता व समाज के अंतिम घटक तक बनाई पहुंच
नागपुर/दि.6– जहां एक ओर विदर्भ क्षेत्र में महायुति के हाथ काफी हद तक निराशा आयी है. वहीं दूसरी ओर संघभूमि व दीक्षाभूमि का शहर रहने वाले नागपुर में भाजपा प्रत्याशी नितिन गडकरी ने लगातार तीसरी बार जीत हासिल करते हुए अपनी हैट्रीक पूरी की है. गडकरी की जीत का पूरा श्रेय उनके द्वारा विगत 10 वर्षों के दौरान किये गये विकास कामों को दिया जा सकता है. विशेष यह भी रहा कि, नागपुर में भाजपा के एजेंडा की बजाय गडकरी के एजेंडा पर ही वोट मांगे गये तथा गडकरी के चुनाव प्रचार में राम मंदिर व सीईए जैसे मुद्दे लगभग दिखाई ही नहीं दिये. ऐसे में अपने द्वारा किये गये विकास कामों के दम पर ही गडकरी ने अपनी सीट को दोबारा जीतने में सफलता प्राप्त की.
विशेष उल्लेखनीय है कि, चुनाव से काफी पहले ही नितिन गडकरी ने सार्वजनिक रुप से बयान देते हुए कहा था कि, वे अपने द्वारा किये गये विकास कामों के आधार पर ही अपना प्रचार करेंगे. ऐसे में नितिन गडकरी ने अपनी इस बात को सच भी साबित करके दिखाया. साथ ही साथ नागपुर संसदीय क्षेत्र में शामिल सभी 6 विधानसभा क्षेत्रों का दौरा करते हुए नितिन गडकरी ने समाज के सभी तबकों के घर-घर जाकर व्यापक जनसंपर्क भी किया. साथ ही साथ गडकरी के कार्यकर्ता भी प्रत्येक मतदाता तक पहुंच और उन्होंने हर मतदाता तक गडकरी द्वारा किये गये विकास कामों को पहुंचाया. जिसके दम पर गडकरी ने लगातार तीसरी बार शानदार जीत हासिल की.
* क्या हुआ था वर्ष 2019 में?
– वर्ष 2019 के संसदीय चुनाव में भाजपा प्रत्याशी नितिन गडकरी के खिलाफ कांग्रेस की ओर से नाना पटोले ने दावा ठोंका था. परंतु इस चुनाव में नाना पटोले को हार का सामना करना पडा था.
– उस चुनाव में नाना पटोले ने जातिगत कार्ड खेलने का प्रयास किया था. लेकिन पटोले का वह दाव पूरी तरह से उलटा पडा.
– मेट्रो, मिहान व एम्स जैसे महत्वाकांक्षी प्रकल्पों के चलते गडकरी ने नागपुरवासियों का विश्वास जीता.
– राष्ट्रीय नेता रहने के बावजूद भी पार्टी के सभी स्थानीय पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं के साथ रहने वाली गडकरी की नजदीकी उनके बेहद काम आयी.
* गडकरी की जीत के कारण
– विगत 5 वर्षों के दौरान निर्वाचन क्षेत्र में किये गये शानदार विकास कार्य.
– मतदाता के साथ कायम रखा गया व्यापक जनसंपर्क.
– केंद्रीय मंत्री के तौर पर रहने वाली जबाबदारियों के साथ ही स्थानीय मुद्दों पर भी पूरा ध्यान.
– चुनाव प्रचार के दौरान व्यक्तिगत टिका-टिप्पणी टालते हुए केवल अपने द्वारा किये गये कामों के आधार पर मतदाताओं से वोट करने का आवाहन.
– भाजपा संगठन के जरिए समाज के सभी स्तरों पर मतदाताओं को आंखों के सामने रखकर किया गया नियोजन.
* मविआ की हार के कारण
– मविआ प्रत्याशी ठाकरे के प्रचार की ओर मविआ के तमाम बडे नेताओं की अनदेखी.
– चुनाव प्रचार के दौरान मविआ की ओर से नियोजन का अभाव.
– पश्चिम नागपुर के अलावा अन्य स्थानों पर ठाकरे का कोई संपर्क नहीं.
– कांगे्रस के लचर संयोजन की वजह से मतदाताओं तक पहुंचने में असफलता.
– ऐन समय पर प्रत्याशी का नाम घोषित होने की वजह से जनता तक पहुंचने हेतु समय मिला कम.