विद्युत बिल में कोई माफी नहीं, पूरी रकम भरनी पडेगी
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ठाकरे सरकार ने सर्वसामान्यों को दिया ‘शॉक’
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केंद्र से मदद नहीं मिलने की वजह आगे की
मुंबई/दि.१७ – विद्युत वितरण कंपनी द्वारा कोरोना काल के दौरान लोगों को बिजली की दरें बढाकर जबर्दस्त ‘शॉक’ दिया गया था. जिसके बाद विद्युत बिल में माफी अथवा सहूलियत मिलने की मांग विपक्षी दलों द्वारा की जा रही थी. लेकिन ऐसी तमाम मांगों को सिरे से खारीज करते हुए राज्य की ठाकरे सरकार द्वारा कहा गया है कि, अगर लोगों ने बिजली का प्रयोग किया है, तो उन्हें उसका पूरा पैसा अदा करना ही होगा और किसी को भी किसी भी तरह की विद्युत बिल माफी नहीं मिलेगी. इसे राज्य की जनता के लिए सरकार की ओर से जबर्दस्त ‘शॉक’ माना जा रहा है, क्योंकि अब तक कई लोग विद्युत बिलों की रकम माफ होने या उसमें सहूलियत मिलने का इंतजार कर रहे थे.
इस संदर्भ में राज्य के उर्जा मंत्री नितीन राउत ने कहा है कि, वृध्दिंगत दरोंवाले बिजली बिल में सहूलियत देना असंभव है. लोगों ने यदि बिजली का प्रयोग किया है तो उन्हें उसका पूरा बिल भरना ही पडेगा. उन्होंने कहा कि, हम भी महावितरण कंपनी के ग्राहक है और कर्ज लेकर मदद कर रहे है. कामकाज को चलाने की हमारी भी अपनी मर्यादाएं है और बिजली बिल सहूलियत का विषय नहीं है. ऐसे में लॉकडाउन काल के दौरान जो विद्युत बिल जारी हुए है, सभी को वो बिल अदा करने ही होंगे. उर्जा मंत्री नितीन राउत ने कहा कि, जैसे आप सभी लोग विद्युत ग्राहक है, वैसे ही वे भी विद्युत ग्राहक है और बिजली का बिल अदा करते है. यदि प्रयोग में लायी गयी बिजली से अधिक रकम का बिल आया है, तो उसकी जांच की जायेगी. लेकिन जितनी बिजली प्रयोग में लायी गयी है, उसका बिल तो भरना ही पडेगा. उन्होंने बताया कि, राज्य में विद्युत बिलों में सहूलियत देने हेतु केंद्र सरकार के पास सहायता का प्रस्ताव भेजा गया था, लेकिन केंद्र सरकार द्वारा कोई सहायता नहीं दी गई है. ऐसे में बिजली बिल में किसी तरह की कोई रियायत नहीं दी जा सकती.
उन्होंने यह भी कहा कि, लॉकडाउन काल के दौरान महावितरण ने अखंडित रूप से 24 घंटे बिजली उपलब्ध करायी. इस बात का सभी विद्युत उपभोक्ताओं ने ऐहसास रखना चाहिए. इस समय महावितरण पर 59 हजार करोड रूपयों का कर्ज है. ऐसे में हम कर्ज निकालकर कितना काम कर पायेंगे. वहीं दूसरी ओर महावितरण द्वारा दिसंबर 2020 तक बकाया विद्युत बिलों की राशि अदा करने का आदेश दिया गया है.
उल्लेखनीय है कि, बिजली बिलों की अनापशनाप राशि को लेकर समूचे राज्य से अनेकों शिकायतें प्राप्त हुई थी. पश्चात विद्युत बिलों की रकम को कम करने के संदर्भ में उर्जा विभाग की ओर से एक प्रस्ताव मंत्रिमंडल की बैठक में चर्चा हेतु रखा गया था, लेकिन उस समय वित्त विभाग ने यह कहते हुए विद्युत बिलों में छूट या सहूलियत देने से मना कर दिया था कि, इससे सरकार की तिजोरी पर काफी आर्थिक भार पडेगा और फिलहाल राज्य की आर्थिक स्थिति काफी डावाडोल है. अत: ऐसी कोई छूट या सहूलियत नहीं दी जा सकती. जिसके बाद विद्युत बिलों में सहूलियत देने हेतु आर्थिक मदद की मांग का प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास भेजा गया था, लेकिन केंद्र सरकार द्वारा अब तक इस प्रस्ताव पर कोई प्रतिसाद नहीं दिया गया है.