मुंबई/दि.29- किसी भी परिस्थिति में वर्तमान केंद्र सरकार ईमानदार करदाता पर अन्याय नहीं होने देगी. इस बात का भरोसा वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने शुक्रवार को मुंबई में दिलाया. उन्होंने आयकर की नोटिस के प्रमाण बढने, उद्योगों पर अनेक जांच लगाने, छापे मारने जैसे आरोपो का साफ खंडन किया. ईटी अवॉर्डस पर कार्पोरेट एक्सलेंस पुरस्कार समारोह में बतौर मुख्य अतिथि निर्मला सीतारामन बोल रही थी. समारोह में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे भी उपस्थित थे.
सीतारामन ने अनेक सवालों का बेबाक उत्तर दिया. वे बोली की ईडी य सीबीआई की जांच अथवा मारे जाते छापे किसी को जानबूझकर सताने के लिए नहीं रहते. उद्योग जगत को भी यह बात भलीभांति मालूम है. शेल कंपनियां खोज निकालने ऐसी कार्रवाई करनी पडती है. तभी ईमानदारी से उद्योग करनेवालो का सरकारी मशनरी पर भरोसा बढता है. निजी उद्योगों हेतु कार्पोरेट टैक्स कम किया गया है. उन्होंने खेद जताया कि निजी क्षेत्र कभी नहीं कहता कि वह सरकार की तरफ से मजबूती से खडा है. उन्होंने कहा कि, प्राकृतिक आपदाओं पर सफलता से विजय पाई है. आगे भी संकट आए तो हम उस दृष्टि से तैयार रहेंगे, बल्कि तैयार रहना चाहिए.
* जीडीपी 8 प्रतिशत करने का लक्ष्य
उन्होंने प्रश्न के उत्तर में कहा कि, फिलहाल देश का जीडीपी 6.2 है. उसे 8 प्रतिशत तक बढाने का प्रयत्न प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर रहे हैं. लगातार ऐसे क्षेत्र देखे जा रहे है जिसमें काम करने पर जीडीपी बढेगा. किसी भी क्षेत्र में मदद करने पर उत्पादन क्षमता बढेगी. इस ओर ध्यान दिया जा रहा है.
वित्त मंत्री ने कहा कि देश में हस्तकला कारीगरों को बल देना आवश्यक है. छोटे उद्योगों को उनकी भाषा में डिजीटल आर्थिक व्यवहार करने का अवसर दिया गया है. अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष भी इसकी सराहना कर रहा है. देश में विविधता में एकता, विविध भाषा, विकास का वैविध्य आदि बातों पर ध्यान देने से ही भारतीय अर्थव्यवस्था विकास पर आगे बढेगी. रिजर्व बैंक ने रेपोरेट में बदलाव नहीं किया. इससे उद्योग जगत आनंदित हुआ. रिजर्व बैंक के निर्णयों पर मुझे नहीं बोलना हैं. बैंक को ही सभी परिस्थितियां भलीभांति ज्ञात हैं. हमें भी रिजर्व बैंक पर विश्वास रखना चाहिए. पुरानी पेंशन योजना के बारे में उन्होंने बताया कि वित्त सचिव की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई है. पेंशन के बारे में विविध घटकों की अपेक्षाओं पर सलाह मशविरा चल रहा है. फिर भी उनकी राय में पुरानी पेंशन योजना की तरफ जाना असंभव जैसी बात है. ऐसा होने पर प्रत्येक राज्य पर प्रचंड आर्थिक भार पडेगा, जो राज्य सहन नहीं कर सकेंगे. मानसून संतोषजनक रहा, अथवा खेती की पैदावार कम हुई, तो ऐसी परिस्थिति से निपटने देश तैयार है.