मुंबई/दि. ३ – बम्बई उच्च न्यायालय(BOMBAY HIGH COURT) ने गुरुवार को कहा कि वह उम्मीद करते है कि मीडिया संगठन अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत (SUSHANT SINGH RAJPUT) की मौत के मामले में जांच के बारे में कोई भी विवरण प्रकाशित या रिपोर्टिंग करते समय संयम बरतेगी.
न्यायमूर्ति ए ए सैयद और न्यायमूर्ति एस पी तावड़े की एक खंडपीठ ने कहा कि मीडिया को इस तरह से रिपोर्ट करनी चाहिए कि यह जांच में बाधा न बने. अदालत उन दो याचिकाओं की सुनवाई कर रही थी जिनमें दावा किया गया है राजपूत की मौत मामले में ”मीडिया ट्रायल’ चल रहा है और इसे रोके जाने का अनुरोध किया गया है.
इनमें एक याचिका मुंबई पुलिस के खिलाफ ”अनुचित, दुर्भावनापूर्ण और झूठे मीडिया अभियान’ चलाये जाने के खिलाफ आठ पूर्व आईपीएस अधिकारियों ने दायर की है. याचिकाकर्ताओं में पूर्व पुलिस महानिदेशक एम एन सिंह(M.N. SINGH), पी एस पसरीचा, के सुब्रमण्यम, डी शिवानंदन, संजीव दयाल और सतीश माथुर, पूर्व अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक के पी रघुवंशी और मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त डी एन जाधव शामिल हैं. एक अन्य याचिका फिल्म निर्माता नीलेश नवलखा और दो अन्य ने दायर की है जिन्होंने मामले में सनसनीखेज रिपोर्टिंग नहीं करने के लिए मीडिया संगठनों को निर्देश दिये जाने का अनुरोध किया है.
अदालत ने कहा, ”हम आग्रह और उम्मीद करते हैं कि मीडिया संगठन राजपूत की मौत के मामले में जांच के बारे में कोई भी विवरण प्रकाशित या रिपोर्टिंग करते समय संयम बरतेंगे और मीडिया को इस तरह से रिपोर्ट करनी चाहिए कि यह जांच में बाधा न बने.
पीठ ने कहा कि मामले में आगे की सुनवाई से पहले वह यह देखना चाहेगी कि केन्द्र सरकार और मामले की जांच कर रहे केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) का इन याचिकाओं के जवाब में क्या कहना है. उच्च न्यायालय ने याचिकाओं की अगली सुनवाई की तिथि 10 सितम्बर तय की. बता दें कि 34 वर्षीय राजपूत ने 14 जून को उपनगर बांद्रा में अपने अपार्टमेंट में फांसी के फंदे पर लटके मिले थे.