महाराष्ट्र

पीएफ हेतु नॉमिनी विवाह के बाद भी वैध ही

मुंबई /दि. 14– विवाह से पहले भविष्य निर्वाह निधि (पीएफ) हेतु यदि वारिसदार यानी नॉमिनी के तौर पर माता या पिता का नाम दर्ज है तो वह विवाह के बाद अपनेआप अवैध नहीं साबित होता. बल्कि संबंधित कर्मचारी द्वारा अपने वारिसदार यानी नॉमिनी का नाम बदलने हेतु लिखित आवेदन पेश करते हुए नए नॉमिनी की नियुक्ति करना अनिवार्य होता है, इस आशय का निर्णय सुनाते हुए हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देशित किया कि सैन्य दल के मृत कर्मचारी की मां अपने बेटे की भविष्य निर्वाह निधि की पूरी रकम प्राप्त करने हेतु पात्र है. अत: संबंधित कर्मचारी की मां को ही पूरी रकम अदा की जाए.
जानकारी के मुताबिक संरक्षण दल के एक कर्मचारी की वर्ष 2021 में मौत हुई थी. संबंधित कर्मचारी ने विवाह के बाद केंद्र सरकारी गट बीमा योजना तथा मृत्यु सह निवृत्ति उपदान के लाभ हेतु अपनी पत्नी को अपना नॉमिनी बनाया था. परंतु भविष्य निर्वाह निधि के लिए अपनी मां को ही नॉमिनी के तौर पर कायम रखा था. उस कर्मचारी की मृत्यु पश्चात सरकार ने केंद्र सरकारी गट बीमा योजना तथा मृत्यु सह निवृत्ति उपदान लाभ के तौर पर उसकी पत्नी को 60 लाख रुपए दिए थे. साथ ही प्रति माह 55 हजार रुपए का निवृत्ति वेतन भी मंजूर किया था. जिसके बाद पत्नी ने अपने पति के पीएफ की रकम मिलने हेतु प्रशासन से निवेदन किया. परंतु प्रशासन ने यह कहते हुए उसके निवेदन को खारिज कर दिया कि, दस्तावेज पर मृत कर्मचारी की मां नॉमिनी रहने के चलते वह रकम उसकी मां को ही अदा की जाएगी. इस फैसले के खिलाफ दिवंगत कर्मचारी की पत्नी ने केंद्र प्रशासकीय लवाद (कैट) के समक्ष चुनौती दी तथा कैट ने पीएफ की रकम मां व पत्नी के बीच समसमान वितरित करने का निर्णय सरकार को दिया. कैट के इस निर्णय को मृतक कर्मचारी की मां ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी. जिसके बाद न्या. एस. एस. चांदुरकर व न्या. मिलिंद साठे की खंडपीठ ने पीएफ की पूरी रकम न्यायालय में जमा करने का आदेश जारी किया. इस दौरान अदालत की अनुमति से मृतक की पत्नी ने पीएफ की आधी रकम निकाल ली. वहीं अब शेष रकम उक्त कर्मचारी की मां को वापिस करने का निर्देश अदालत ने दिया है.

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