महाराष्ट्र

गलत नीयत के बिना गाल छूना सेक्सुअल असॉल्ट नहीं

बॉम्बे हाईकोर्ट ने यह दलील देकर आरोपी को छोड़ा

मुंबई/दि.२९ – बच्ची के गाल को छूने के आरोप में अरेस्ट किए गए आरोपी को मुंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) ने जमानत दे दी है. अदालत ने कहा कि पॉक्सो (Protection of Children from Sexual Offences- POCSO) कानून के तहत यौन इच्छा या मंशा के बिना छोटी बच्ची के गाल को छूना सेक्सुअल असॉल्ट नहीं है. संबंधित व्यक्ति जुलाई 2020 से कस्टडी में था. न्यायमूर्ति के.शिंदे की खंडपीठ के सामने केस की सुनवाई पूरी हुई.
न्यायमूर्ति के. शिंदे ने कहा, “मेरा मानना है कि पॉक्सो कानून के सेक्शन 7 के तहत बिना किसी यौन इच्छा या मंशा लिए गाल में हाथ लगाया जाता है तो वो यौन दुराचार (Sexual Assault) नहीं है.” 46 साल के आरोपी की चिकन की दुकान है. उस पर 8 साल की बच्ची के गाल को छूने का आरोप है. बच्ची की मां ने ठाणे जिले के रबोडी थाने में उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई थी. इस पर न्यायमूर्ति शिंदे ने कहा,”अब तक की जांच यह इशारा नहीं करती कि आरोपी ने यौन इच्छा से लड़की के गालों को छुआ था.”

  • सेक्स की नीयत या मंशा देखना जरूरी, सिर्फ गाल छूना सेक्सुएल असॉल्ट नहीं

पॉक्सो एक्ट के सेक्शन 7 के मुताबिक सेक्स की नीयत से बच्चे के प्राइवेट पार्ट को छूना, या उससे अपना प्राइवेट पार्ट छुआना सेक्सुअल असॉल्ट माना जाता है. इससे फर्क नहीं पड़ता कि उससे शारीरिक संपर्क हुआ है या नहीं.
न्यायालय में आरोपी के वकील ने कोर्ट से कहा कि आरोपी को बिजनेस से जुड़े विवाद की वजह से फंसाया जा रहा है. न्यायमूर्ति शिंदे ने तमाम दलीलों और सबूतों को ध्यान में रखते हुए आरोपी को जमानत दे दी. लेकिन यह साफ किया कि उनकी टिप्पणी सिर्फ जमानत देने तक ही सीमित है. इसका असर ट्रायल या अन्य कार्यवाही पर नहीं पड़ेगा.

  • बच्ची की मां का क्या है आरोप?

बच्ची की मां ने आरोप लगाया था कि चिकन शॉप के मालिक ने इशारा कर के बच्ची को दुकान के अंदर बुलाया था. बच्ची जब दुकान के अंदर गई तो उसने शटर बंद कर दिया था. यह सब वह ऊपर से देख रही थी. वह दौड़ कर नीचे आई और शटर उठाया तो देखा कि वो अपनी शर्ट उतार रहा है. बाद में बच्ची ने पुलिस को बताया कि इस बीच उस शख्स ने उसके गाल पर किस किया था.

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