महाराष्ट्र

अब जालना हुआ ‘रेशीम’ जिला

987 एकड में तूती का उत्पादन

जालना/दि.7– जिले के 969 किसान 987 एकड में तूती का उत्पादन कर रेशीम कोष उत्पादन ले रहे है. जिले में अंतर्राष्ट्रीय दर्जे के ऑटोमेटीक रिलींग मशीन की निर्मिती किए जाने से रेशीम धागा निर्मित हो रहा है. इस कारण अब रेशीम अंडीपुंज, कोष उत्पादन से रेशीम धागा निर्मित करनेवाला जालना जिला राज्य में एकमात्र साबित हुआ है.
रेशीम खेती के लिए शासन की तरफ से प्रति एकड 3 लाख 97 हजार 335 रुपए अनुदास सहित अंडीपुंज भी दी जाती है. 2023-24 में रेशीम कोष को प्रति एकड 43 हजार रुपए भाव मिले. एक एकड में तूती का उत्पादन कर 350 अंडीपुंज की दो फसल लेते आती है. पहले वर्ष 1 लाख 12 हजार की आय मिलती है. दूसरे वर्ष 800 अंडीपुंज का संगोपन कर 450 रुपए प्रति किलो के मुताबिक 2 लाख 52 हजार रुपए आय मिलती है.

* अब रेशीम कपडा भी निर्मित किया जाएगा
रेशीम धागा निर्मिती की आगे की प्रक्रिया उद्योग जिसमें रेशीम धागे को लपेटना, रेशीम धागे का रंगरोगन करना, रंगे रेशीम धागे से रेशीम कपडा निर्मित करना आदि के लिए जिलाधिकारी डॉ. श्रीकृष्ण पांचाल के मार्गदर्शन में प्रयास शुरु है.

* रेशीम कोष बाजारपेठ
रेशीम कोष बिक्री के लिए किसानों को कर्नाटक जाना पडता था. लेकिन 2018 से जालना में रेशीम कोष बाजारपेठ शुरु हुआ. किसानों को जालना के बाजारपेठ में ही कर्नाटक के भाव मिलते है.

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