महाराष्ट्र

अब मृत व्यक्तिके नकली अंगूठे से रकम निकालने पर लग सकेगी रोक

डीबीटी में फर्जीवाड़ा से जागी सरकार

सरकार नई-नई तकनीकों का ले रही सहारा
मुंबई/ दि.२४-सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार रोकने के लिए सरकार लगातार तकनीक की मदद ले रही है पर खुराफाती दिमाग के कुछ लोग भ्रष्टाचार करने का कोई न कोई रास्ता निकाल ही लेते हैं. ऐसे में सरकार को भी इनसे निपटने के लिए नई-नई तकनीकों का सहारा लेना पड़ता है. डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) में अब मृत व्यक्ति के नकली अंगूठे से रकम निकालने पर रोक लग सकेगी. इसके लिए राज्य सरकार केंद्र सरकार के सीडैक द्वारा तैयार साफ्टवेयर का इस्तेमाल करेगी. विभिन्न योजनाओं के तहत सरकार की तरफ से दी जाने वाली रकम, पेंशन आदि सहित करीब ५० योजनाओं में लाभार्थियों को बिचौलियों से बचाने के लिए डीबीटी के माध्यम से रकम दी जाती है. लाभार्थी के अंगूठे के निशान से रकम मिलती है. लेकिन सरकार को ऐसी शिकायतें मिली है जिसमें लाभार्थी की मृत्यु की स्थिति में फर्जी अंगूठे के निशान से पैसे निकाले गए है. अब इस समस्या से निपटने के लिए राज्य की सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) विभाग सीडेक द्वारा निर्मित साफ्टवेयर की मदद लेगा. राज्य के आईटी विभाग के प्रधान सचिव पराग जैन ने बताया कि, नए सॉफ्टवेयर से जीवित व्यक्ति के अंगूठे से ही रकम निकाली जा सकेगी. सॉफ्टवेयर फर्जी अंगूठे को पहचान लेगा. राज्य में विभिन्न सरकारी योजनाओं के माध्यम से विद्यार्थियों को दी जानेवाली छात्रवृत्ति जैसी ५० से अधिक योजनाओं का पैसा लाभार्थियों के खाते में डीबीटी पोर्टल के माध्यम से जमा किया जाता है. राज्य में छात्रवृत्ति धारकों के खातों में हर साल करीब ७ हजार करोड़ रुपए जमा किए जाते है. जबकि विभिन्न सरकारी योजनाओं के माध्यम से किसानों व लाभार्थियों के खातों में हजारों करोड़ रुपए जमा किए जा रहे है.
* सीडैक सॉफ्टवेयर कैसे काम करेगा?
लाभार्थी के खाते में पैसा सीधे जमा होने के बाद उसे फर्जी थम्ब इंप्रेशन से निकालने से रोकने के लिए अब इसे नए सॉफ्टवेयर सीआईडीएसी का इस्तेमाल किया जाएगा. श्री जैन ने दावा किया कि सॉफ्टवेयर केवल उन उंगलियों के निशान स्वीकार करेगा जिसमें रक्त परिसंचरण हो रहा है. इससे फर्जी थम्ब इंप्रेशन की पहचान हो सकेगी और फर्जी अंगूठे के माध्यम से निकासी पर अंकुश लगाया जा सकेगा.

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