अब सहकारी संस्थाओं के असक्रिय सदस्यों पर गिरेगी गाज
कार्यकाल दौरान कम से कम एक आमसभा में उपस्थित रहना होगा जरुरी
* सहकारी बैंकों में सदस्यों का भी खाता रहना अनिवार्य
* आमसभा में गैरहाजिरी व व्यवहार के अभाव में जाएगी सदस्यता
* सहकारी संस्था अधिनियम में हुए चार नये संशोधन
* राज्यपाल से मिली मंजूरी, सहकार मंत्रालय ने जारी किया अध्यादेश
* राज्य सहकार निर्वाचन प्राधिकरण ने परिपत्र किया जारी
पुणे/दि.12 – राज्य की सभी सहकारी संस्थाओं में सदस्य बनने वाले सदस्यों को अब संस्था के प्रत्येक कार्यकाल के दौरान सक्रिय यानि क्रियाशील भी रहना होगा. साथ ही अपनी सहकारी संस्था के आर्थिक व्यवहार में भी हिस्सा लेना होगा. अन्यथा आगे चलकर उनकी सदस्यता और मताधिकार पर खतरा मंडरा सकता है. क्योंकि राज्य के सहकार, पणन व वस्त्रोद्योग मंत्रालय द्बारा इस संदर्भ में राज्यपाल की मंजूरी प्राप्त करते हुए एक अध्यादेश जारी किया गया है. जिसमें महाराष्ट्र सहकारी संस्था अधिनियम 1960 में 4 नये संशोधन करते हुए क्रियाशील सदस्यों की परिभाषा को विनिर्दिष्ट किया गया है. जिसके तहत साफ तौर पर कहा गया है कि, जो सदस्य अपने पूरे कार्यकाल के दौरान होने वाली आमसभाओं में से कम से कम एक आमसभा में उपस्थित रहेगा. उसे क्रियाशील सदस्य माना जाएगा. साथ ही जिन क्रियाशील सदस्यों का अपनी खुद की सहकारी संस्था विशेष कर सहकारी बैंक अथवा पतसंस्था में खाता अथवा आर्थिक व्यवहार होगा, ऐसे सदस्यों को ही मताधिकार के लिए पात्र माना जाएगा. इस फैसले के चलते उन सहकारी संस्थाओं के संचालकों को अच्छा खासा झटका लग सकता है. जिन्होंने केवल अपना वोट बैंक बढाने के लिए बडे पैमाने पर संस्था में सदस्य बना रखे है और ऐसे सदस्य केवल चुनाव के वक्त वोट डालने के लिए ही सक्रिय होते है तथा बाकी समय इन सदस्यों का संबंधित सहकारी संस्था से कोई लेना-देना नहीं रहता.
राज्य सहकारी निर्वाचन प्राधिकरण ने सभी जिला सहकारी निर्वाचन अधिकारियों तथा तहसीलों प्रभारी सहकारियों निर्वाचन अधिकारियों के नाम पत्र व ईमेल जारी करते हुए बताया है कि महाराष्ट्र सहकारी संस्था अधिनियम की धारा 2, 26, 27 तथा 73 (अ) में राज्य के राज्यपाल की मंजूरी से संशोधन किया गया है और इस अधिनियम को लागू करने हेतु राज्य के सहकार, पणन व वस्त्रोद्योग विभाग द्बारा विगत 7 जून को एक अध्यादेश भी जारी किया गया है. जिसे महाराष्ट्र सहकारी संस्था (संशोधित) अध्यादेश 2023 का नाम दिया गया है और इसे तुरंत प्रभाव से अमल में लाया जाएगा.
इस अध्यादेश के मुताबिक महाराष्ट्र सहकारी संस्था अधिनियम 1960 की धारा 2 में ‘अ-1’ उपखंड शामिल करते हुए क्रियाशील सदस्य को विनिर्दिष्ट किया गया है तथा मुख्य अधिनियम की धारा 26 की बजाय धारा 26 (1) तथा धारा 27 में उपधारा 1 को शामिल करते हुए क्रियाशील सदस्यों के कामकाज के तरीके और अधिकारों को नये सिरे से परिभाषित किया गया है. इसके अलावा मुख्य अधिनियम की धारा 73 (अ) में संशोधन करते हुए उपधारा 9 जोडी गई है. जिसमें असक्रिय रहने वाले क्रियाशील सदस्यों के बारे में जानकारी विनिर्दिष्ट की गई है. इन संशोधनों के आधार पर ही अब भविष्य में महाराष्ट्र सहकारी संस्था अधिनियम 1960 को संशोधित स्वरुप के साथ अमल में लाया जाएगा. इस आशय का आदेश राज्य सहकार निर्वाचन प्राधिकरण के सचिव डॉ. पी. एल. खंडागले द्बारा जारी किया गया है.