अब राज्य में विधवा प्रथा होगी खत्म
कोल्हापुर जिले के ‘हेरवाड पैटर्न’ पर होगा पूरे राज्य में अमल
* राज्य सरकार ने जारी किया परिपत्रक
मुंबई/दि.19– कोल्हापुर जिलांतर्गत हेरवाड ग्राम पंचायत द्वारा विधवा प्रथा बंद करने का प्रस्ताव मंजूर किये जााने की चर्चा इस समय पुरे राज्य में है और अब इस ‘हेरवाड पैटर्न’ पर पूरे राज्य में अमल भी किया जायेगा. जिसके लिए राज्य सरकार द्वारा एक परिपत्रक जारी करते हुए कहा गया कि, राज्य की सभी ग्राम पंचायतों विधवा प्रथा को बंद करने हेतु हेरवाड ग्रामपंचायत के आदर्श को सामने रखते हुए काम करना चाहिए.
बता दें कि, पति की मृत्यु के पश्चात विधवा होनेवाली पत्नी के माथे से कुमकुम पोंछने, उसके गले से मंगलसुत्र तोडने, हाथ की चूडियों को फोडने तथा पैर की उंगली से बिछुआ को निकालने जैसी प्रथाओें का आज भी पालन किया जाता है और पति के निधन की वजह से शोकविव्हल रहनेवाली पत्नी को इन अमानवीय प्रथाओं की वजह से काफी दर्द व तकलीफ से होकर गूजरना पडता है. ऐसे में इस अनिष्ठ प्रथा को बंद करने का निर्णय कोल्हापुर जिलांतर्गत हेरवाड ग्राम पंचायत की ग्रामविकास अधिकारी पल्लवी कोल्हेकर तथा सरपंच सुरगुंडा पाटील द्वारा लिया गया था. पश्चात विगत 5 मई को हेरवाड ग्राम पंचायत ने विधवा प्रथा को बंद करने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया था. जिसकी चर्चा देखते ही देखते राज्य के कोने-कोने में शुरू हो गई और अब राज्य सरकार ने हेरवाड ग्राम पंचायत द्वारा उठाये गये कदम को आदर्श बताते हुए राज्य की सभी ग्रामपंचायतों से इसका पालन करने हेतु कहा है.
ज्ञात रहे कि, कोल्हापुर जिले को राजर्षी शाहु महाराज का जिला माना जाता है. जिन्होंने अपने आधुनिक व प्रगतिशील विचारों के जरिये आधुनिक समाज के निर्माण की नीव रखी थी. विशेष उल्लेखनीय है कि, जिस समय हेरवाड ग्राम पंचायत द्वारा इस प्रस्ताव को मंजुरी दी गई, उसी दौरान छत्रपति शाहु महाराज की स्मृति में शताब्दी महोत्सव मनाया जा रहा था. अपने निर्णय के संदर्भ में जानकारी देते हुए हेरवाड के सरपंच सुरगोंडा पाटील ने बताया कि, शाहु महाराज ने भी अपने जीवनकाल के दौरान विधवा महिलाओं के उत्थान हेतु कई उल्लेखनीय कार्य किये थे. जिन्हें ध्यान में रखते हुए ग्राम पंचायत द्वारा इस क्रांतिकारी निर्णयवाले प्रस्ताव को आम सहमति के साथ पारित किया गया. सरपंच पाटील के मुताबिक कोल्हापुर में आयी प्रलयंकारी बाढ और इसके बाद कोविड संक्रमण काल के दौरान कई परिवारों के प्रमुख पुरूषों की मौत हुई. ऐसी स्थिति में उनकी विधवा पत्नियों का मान-सम्मान कायम रहे और उन्हें अमानवीय व अप्रिय स्थिति का सामना न करना पडे, इस बात के मद्देनजर उन्होंने ग्रामपंचायत के सामने यह प्रस्ताव रखा था. जिसे सभी की सहमति मिली.
‘हेरवाड पैटर्न’ को पूरे राज्य में लागू किया जायेगा, यह जानकारी मिलने पर मुझे काफी खुशी हुई है. अनिष्ठ प्रथा का निर्मूलन करने हेतु इसी तरह का प्रस्ताव राज्य की प्रत्येक ग्राम पंचायत में रखे जाने हेतु ग्राम पंचायतों को प्रोत्साहित किये जाने की जरूरत है. लोकराजा राजर्षी शाहु महाराज स्मृति शताब्दी वर्ष में लिये गये इस निर्णय के चलते निश्चित रूप से शिव, शाहु, फुले व आंबेडकर के विचारों को बल मिलेगा.
– यशोमति ठाकुर
महिला व बालविकास मंत्री
हेरवाड जैसे छोटे से गांव ने पूरे महाराष्ट्र राज्य को एक प्रगतिशिल विचार दिया है. जिसके तहत हेरवाड की ग्राम पंचायत ने विधवा प्रथा को बंद करने का निर्णय लिया है. अब इस निर्णय पर पूरे राज्य में अमल होना चाहिए.
– सुप्रिया सुले
सांसद, राष्ट्रवादी कांग्रेस
विधवा महिलाओं को भी अन्य महिलाओें की तरह सम्मान के साथ जीवन जीने का पूरा अधिकार है. विधवा प्रथाओं का पालन किये जाने के चलते प्रतिष्ठापूर्ण जीवन जीने के मानवीय अधिकार सहित संविधान द्वारा प्रदत्त समता के अधिकार का भी उल्लंघन होता है. ऐसे में इस प्रथा को खत्म करना मौजूदा समय की जरूरत है. साथ ही भविष्य में महिलाओं के अधिकार का हनन न हो, इस हेतु ग्रामविकास विभाग द्वारा आवश्यक कदम उठाये जायेंगे. इसके तहत हेरवाड ग्रामपंचायत द्वारा लिये गये निर्णय की तरह राज्य की अन्य ग्राम पंचायतों को भी निर्णय लेते हुए समाज की कुप्रथा को बंद करने का आवाहन किया गया है.
– हसन मुश्रीफ
ग्राम विकास मंत्री