अब हुए चाचा-भतीजे आमने-सामने, दोनों ने ठोंका पार्टी पर अपना दावा
दोनों पवार गुटों ने अलग-अलग बैठके बुलाकर किया शक्ति प्रदर्शन
* अजित पवार गुट से पहले शरद पवार गुट पहुंचा चुनाव आयोग, कैवेट दाखिल
* पवार गुट की बैठक में पहुंचे 13 विधायक, 3 एमएलसी व 4 सांसद
* अजित गुट की बैठक में 30 विधायकों का समावेश, अन्यों के साथ संपर्क जारी
* 2 विधायकों ने ऐन समय पर बदला पाला, शेष विधायकों ने अपनाई ‘वेट एण्ड वॉच’ की भूमिका
मुंबई/दि.5 – राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में अब वर्चस्व की लडाई तेज हो गई है और राकांपा नेता अजित पवार की बगावत अब अपने अगले चरण में पहुंच गई है. जिसके तहत अजित पवार गुट ने आज मुंबई में अपने समर्थक विधायकों की बैठक बुलाई. जिसमें अजित पवार समर्थक 30 विधायक पहुंचे. वहीं अजित पवार गुट की ओर से की गई बगावत के बाद अपने समर्थक विधायकों को एकजूट रखने हेतु शरद पवार गुट द्बारा भी आज मुंबई के यशवंतराव चव्हाण प्रतिष्ठान में बैठक बुलाई गई. जिसमें 13 विधायकों के साथ ही 3 एमएलसी व पार्टी के 4 सांसद पहुंचे. संभावना जताई जा रही थी कि, अपने समर्थक विधायकों के साथ बैठक होने के उपरान्त अजित पवार गुट राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नाम व चुनावी चिन्ह पर दावा ठोकने हेतु निर्वाचन आयोग के पास जा सकता है. ऐसे में अजित पवार गुट के निर्वाचन आयोग पहुंचने से पहले ही शरद पवार गुट ने निर्वाचन आयोग में कैवेट दाखिल करते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नाम व चुनावी चिन्ह को लेकर आने वाले किसी भी दावे पर सुनवाई करने से पहले अपना पक्ष सुने जाने का इंतजाम कर लिया.
बता दें कि, राज्य विधानसभा में राकांपा के कुल 53 विधायक है. जिनमें से 40 विधायकों को अपने साथ लेकर राकांपा नेता अजित पवार ने विगत रविवार 2 जुलाई को राज्य की शिंदे-फडणवीस सरकार से हाथ मिला लिया था. जबकि राष्ट्रवादी कांग्रेस इस समय विपक्षी गटबंधन की भूमिका निभा रही महाविकास आघाडी का हिस्सा है. ऐसे में अजित पवार गुट द्बारा उठाए गए इस कदम को सीधे-सीधे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मुखिया शरद पवार के खिलाफ हुई बगावत के तौर पर देखा गया. साथ ही यह भी माना गया कि, राकांपा में दो फाड हो चुकी है. इसके साथ ही शरद पवार गुट द्बारा अजित पवार के साथ गए राकांपा के नेताओं व विधायकों को पार्टी से निष्कासित करने की कार्रवाई भी शुरु कर दी गई थी. जिसके प्रतिक्रिया स्वरुप पवार गुट समर्थकों द्बारा शरद पवार के खेमे में रहने वाले कुछ नेताओं को लेकर कुछ आरोप भी लगाए गए थे. वहीं आज दोनों गुटों ने मुंबई में अपने-अपने समर्थक विधायकों व नेताओं की अलग-अलग बैठके बुलाते हुए एक तरह से शक्ति प्रदर्शन करने का प्रयास किया. साथ ही खुद को असली राकांपा बताते हुए पार्टी के मुख्य प्रतोद सहित पार्टी प्रदेशाध्यक्ष के नामों की घोषणा भी की.
इसके तहत अजित पवार की बैठक में 30 विधायक और 4 एमएलसी पहुंचे. बैठक को संबोधित करते हुए अजित पवार ने माना कि उन्होंने जितने विधायकों के समर्थन का दावा किया था, उतने इस बैठक में नहीं पहुंचे. उन्होंने कहा कि कई विधायक आज यहां नहीं हैं. कुछ अस्पताल गए हैं. कुछ पहुंच नहीं सके हैं. कुछ विधायक वाई बी चव्हाण सेंटर में हैं. लेकिन सभी मेरे संपर्क में हैं. वहीं, वाई.बी. चव्हाण सेंटर में हो रही शरद पवार गुट की मीटिंग में 13 विधायक और चार सांसद पहुंचे. एनसीपी के कुल 53 विधायक हैं. ऐसे में 10 विधायक अब तक किसी गुट में शामिल नहीं हुए हैं.
* किस गुट की बैठक में कौन-कौन पहुंचा
अजित गुट की बैठक में अजित पवार समेत 30 विधायक और चार एमएलसी पहुंचे. इस बैठक में छगन भुजबल, हसन मुश्रिफ, नरहरि झिरवाल, दिलीप मोहिते, अनिल पाटिल, मानिक राव, दिलीप वाल्से पाटिल, अदिती तटकरे, धनंजय मुंडे, धर्मराव अत्राम, अन्ना बंसोड, नीलेश लंके, इंद्रनील नाइक, सुनील शेलके, दत्तात्रय भरणे, संजय बंसोड़, संग्राम जगताप, दिलीप बनकर, सुनील टिंगरे, सुनील शेलके, बालासाहेब अजाबे, दीपक चव्हाण, यशवंत माने, नितिन पवार, शेखर निकम, संजय शिंदे, राजू कोरमारे, बबनराव शिंदे पहुंचे. वहीं दूसरी ओर शरद पवार गुट की बैठक में किरण लहामाटे, अशोक पवार, रोहित पवार, राजेंद्र शिंगणे, अनिल देशमुख, जितेंद्र आव्हाड, संदीप क्षीरसागर, जयंत पाटिल, बालासाहेब पाटिल, सुनील भुसारा, राजेश टोपे, चेतन टोपे और विधायक सुमन पाटिल की जगह उनके बेटे रोहित पाटिल पहुंचे.
* किसी डर की वजह से नहीं उठाया यह कदम – भुजबल
अजित पवार गुट की बैठक में राकांपा नेता व मंत्री छगन भुजबल ने कहा कि, अजित पवार के साथ रहने वाले लोगों पर कानूनी मामलों से बचने हेतु डर कर पाला बदलने का आरोप लगाया जा रहा है, जो कि पूरी तरह से गलत है. हम में से कई नेता व विधायक ऐसे भी है, जिनके खिलाफ काई मामला दर्ज नहीं है. ऐसे नेताओं में धनंजय मुंडे, दिलीप वलसे पाटिल व रामराजे निंबालकर का नाम प्रमुख तौर पर लिया जा सकता है. हम सभी आज यहां इसलिए एकसाथ है, क्योंकि राकांपा सुप्रीमो शरद पवार के आसपास कुछ ऐेसे लोगों का जमावडा हो गया है, जो पार्टी को खत्म करना चाहते है. इस बारे में आगाह करने के बावजूद भी पार्टी प्रमुख शरद पवार द्बारा ध्यान नहीं दिया जा रहा था. यदि आज भी शरद पवार उन लोगों को किनारे कर देते है, तो हम शरद पवार के पास वापिस लौटने तैयार है.
* शरद पवार हमारे नेता और गुरु – अजित पवार
वहीं अजित पवार ने अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा कि हमने ये कदम क्यों उठाया? यह बड़ा सवाल है. शरद पवार हमारे नेता और गुरु हैं. इसमें कोई संदेह नहीं है. लेकिन आज देश में जिस तरह की राजनीति हो रही है, वह देखने की जरूरत है. हम एससी, एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यकों के लिए काम करना चाहते हैं. उनके लिए काम करना हमारा सपना है. वह सीएम कैसे बने? तब भी वही स्थिति पैदा हुई. वसंतदादा पाटिल की सरकार. पतन हुआ और शरद पवार ने पुलोद का गठन किया और 1978 में सीएम बने. उन्होंने कहा, 1980 में कांग्रेस की सुनामी आई. इंदिरा गांधी फिर देश की पीएम बनीं. इतिहास देखिए देश को करिश्माई नेतृत्व की जरूरत है. अब कहां हैं जनता पार्टी, जो 77 में सत्ता में थे, वे अब कहीं नहीं हैं. क्योंकि उनके पास करिश्माई नेतृत्व नहीं है. अजित पवार ने कहा, 1999 में पवार साहब ने कहा था कि सोनिया गांधी विदेशी हैं. वह हमारी पीएम नहीं हो सकतीं. हमने पवार साहब की बात सुनी. भुजबल साहब ने शिवाजी पार्क में रैली की. और हमने महाराष्ट्र में जाकर प्रचार किया और हमने 75 सीटें जीतीं. सभी को महत्वपूर्ण विभाग मिले. लेकिन मुझे कृष्णा खोरे महामंडल मिला, जो 6 जिलों तक सीमित था. लेकिन मैंने लगातार काम किया. शासन-प्रशासन पर मेरी पकड़ बनाई. अजित पवार ने माना कि बैठक में वे सभी विधायकों नहीं हैं, जिन्हें लेकर उन्होंने हस्ताक्षर करने का दावा किया था. उन्होंने कहा, कई विधायक आज यहां नहीं हैं. कुछ अस्पताल गए हैं. कुछ पहुंच नहीं सके हैं. कुछ विधायक वाई बी चव्हाण सेंटर में हैं. लेकिन सभी मेरे संपर्क में हैं.
* जब सेना के साथ दिक्कत नहीं, तो भाजपा के साथ क्यों – पटेल
अजित पवार गुट के बैठक में राकांपा नेता व सांसद प्रफुल्ल पटेल ने कहा, जब हम शिवसेना की विचारधारा स्वीकार कर सकते हैं, तो बीजेपी की विचारधारा से क्या दिक्कत है. जब महबूबा मुफ्ती और फारूक अब्दुल्ला बीजेपी के साथ आ सकते हैं, तो एनसीपी के साथ आने में क्या दिक्कत है. प्रफुल्ल पटेल ने कहा, बहुत सारे लोग अजित पवार को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं. उन पर कई बार आरोप लगा रहे हैं. 2022 में जब शिंदे गुट गुवाहाटी में था, हर विधायक और सांसद शरद पवार साहब के पास गए और उनसे पूछा. उनसे भाजपा के साथ जाने की अपील की, लेकिन वह तैयार नहीं थे. उन्होंने कहा, 2019 में आपने पूछा कि अजित पवार ने राजभवन में जाकर फडणवीस के साथ शपथ कैसे ली? अगर उन्होंने पार्टी के खिलाफ जाकर ऐसा किया था, तो उन्हें सरकार में डिप्टी सीएम और विपक्ष का नेता क्यों बनाया गया? मैं ज्यादा बात नहीं करना चाहता. जब समय आएगा, तब मैं किताब लिखूंगा, तब पूरा देश हिल जाएगा. आप सब जानते हैं कि मैं साये की तरह पवार साहब के साथ था, चाहे सही रहा हो या गलत.
* अजित ने तटकरे को बनाया प्रदेशाध्यक्ष
उधर, शरद पवार के बाद अजित पवार ने एनसीपी पर दावा ठोकते हुए जयंत पाटिल को एनसीपी के महाराष्ट्र अध्यक्ष पद से हटाने का ऐलान किया. इसके साथ ही अजित पवार ने सुनील तटकरे को एनसीपी के नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया. उन्होंने कहा कि जयंत पाटिल को तुरंत सुनील तटकरे को कार्यभार सौंप देना चाहिए.