महाराष्ट्र

एसआरए में सालोंसाल से कार्यरत अधिकारियों का हो तबादला

अर्थ एनजीओ ने निर्वाचन आयोग के समक्ष उठाई मांग

मुंबई/दि.26– राज्य के जिन सरकारी अधिकारियों ने अपने पदों पर तीन साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है. ऐसे अधिकारियों के तबादले हेतु निर्वाचन आयोग ने मार्गदर्शक तत्व निश्चित किये है. जिसकी ओर राज्य सरकार द्वारा अनदेखी की जा रही है. केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने विगत सप्ताह ही मुंबई मनपा के आयुक्त इकबाल सिंह चहल सहित अन्य अधिकारियों का तत्काल तबादला करने का निर्देश राज्य सरकार को दिया था. उसी तर्ज पर झोपडपट्टी पुनर्वसन प्राधिकरण (एसआरए) में विगत कई वर्षों से पदस्त रहने वाले मुख्य कार्यकारी अधिकारी सतीश लोखंडे, यांत्रिक विभाग के प्रमुख उपमुख्य अभियंता आर. बी. मिटकर तथा कार्यकारी अभियंता प्रदीप पवार व मिलिंद वाणी का भी निर्वाचन आयोग द्वारा तबादला किया जाना चाहिए. इस आशय की मांग का ज्ञापन अर्थ एनजीओ नामक संगठन ने निर्वाचन आयोग को सौंपा है.

इस ज्ञापन में बताया गया है कि, एसआरए के सीईओ सतीश लोखंडे 4 वर्ष, यांत्रिक विभाग के प्रमुख उपमुख्य अभियंता आर. बी. मिटकर 8 वर्ष एवं कार्यकारी अभियंता प्रदीप पवार 6 वर्ष से झोपडपट्टी पुनर्विकास प्राधिकरण में ही कार्यरत है. इसके अलावा कार्यकारी अभियंता मिलिंद वाणी ने अपनी 24 साल की सेवा में से 20 साल महाराष्ट्र सरकार के मार्गदर्शक तत्वों का सीधा उल्लंघन करते हुए प्रति नियुक्ति पर एसआरए में काम करते हुए गुजारे है. यह सभी अधिकारी तय मुदत के बाद भी अपने पदों पर कार्यरत है. जिससे झोपडपट्टी वासियों में संभ्रम व अस्वस्थता निर्माण होने की संभावना है. साथ ही इन अधिकारियों के वृद्धिंगत कार्यकाल की वजह से मतदाताओं पर भी इसका प्रभाव पडने का पूरा अंदेशा है, ऐसा दावा अर्थ नामक सामाजिक संस्था ने किया है. साथ ही आरोप भी लगाया है कि, राजनेताओं द्वारा इन अधिकारियों का प्रयोग मतदाताओं को प्रभावित करने हेतु किये जाने की भी आशंका है. ऐसे मेें यदि सालों-साल तक महत्वपूर्ण पदों पर काम करने वाले अधिकारियों का तबादला नहीं होता है, तो स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव कराये जाने पर सवालियां निशान भी उपस्थित होता है, ऐसा भी अर्थ एनजीओ द्वारा राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को सौंपे गये पत्र में कहा गया है.

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