कार्तिक एकादशी पर आराध्य दैवत विट्ठल की पंढरी रही सूनी
हरिनाम के जयघोष की बजाय छायी विरानी
पंढरपुर./दि.२७ – महाराष्ट्र के सबसे बडे तीर्थक्षेत्र पंढरपुर में हर साल आषाढी एकादशी व कार्तिक एकादशी का पर्व धूम-धाम से श्रद्धा व भक्ति के साथ मनाया जाता है. जिसमें राज्य के तीर्थक्षेत्र व मंदिरों से हजारों की संख्या में पालकी के साथ लाखों वारकरी समुदाय के भाविक भक्त यहां उपस्थित रहते है. इतना ही नहीं सरकार की ओर से आषाढी एकादशी पर राज्य के मुख्यमंत्री तथा कार्तिक एकादशी पर उपमुख्यमंत्री शासकीय महापूजा में शामिल होते है.
किंतु इस साल ऐन मौके दोनो ही एकादशी के अवसर पर कोरोना संक्रमण की पाश्र्वभूमि पर संचारबंदी लागू कर दी गई थी. जिसमें इस साल कार्तिक एकादशी पर श्रीक्षेत्र पंढरपुर में हरिनाम के जयघोष की बजाय विरानी छायी रही. पवित्र नदी चंद्रभागा परिसर पर भी सन्नाटा छाया रहा. केवल शासकीय महापूजा में शामिल होने के लिए उपमुख्यमंत्री अजीत पवार (Deputy Chief Minister Ajit Pawar) की सुरक्षा को लेकर पंढरपुर तीर्थक्षेत्र का रुपांतर पुलिस छावनी में कर दिया गया था.
२४ नंवबर की मध्य रात से पंढरपुर सहित आस-पास के ११ गांवो में संचारबंदी लगा दी गई थी. जिसमें पंढरपुर की ओर आने वाले सभी रास्ते बंद कर दिए गए थे. जिसकी वजह से एक भी वारकरी भाविक भक्त यहां तक नहीं पहुंच पाया. ग्रामवासियों को भी घर से बाहर निकलने पर पांबदी लगा दी गई थी. श्री विट्ठल मंदिर की ओर जाने वाले रास्तों पर बैरिकेट लगा दिए गए थे.
उसी प्रकार चंद्रभागा नदी के सभी घाट बंद कर दिए गए थे. पुलिस कर्मियों के अलावा कोई भी व्यक्ति यहंा दिखायी नहीं दे रहा था. आषाढी एकादशी के पश्चात अब कार्तिक एकादशी भी बगैर भाविक भक्तों की व वारकरी संप्रदाय की अनुपस्थिति में संपन्न हुई. वारकरी संप्रदाय व स्थानीय नागरिकों में नाराजी दिखायी दी. कार्तिक एकादशी पर सोलापुर व अन्य जिलों से भी बडे प्रमाण में पुलिस बंदोबस्त बुलवाया गया था. क्षेत्र में जगह-जगह पुलिस के वाहन व उनके तंबू दिखायी दिए. कार्तिक एकादशी के पर्व पर विट्ठल मंदिर पर आकर्षक रोशनाई व मंदिर के गर्भागृह को आकर्षक फूलों से सुसज्जित किया गया था.