उप्र की तर्ज पर प्रदेश में भी बेटियों की शादी के लिए मिलेगी मदद
लिंग अनुपात बढ़ाने किया जाएगा अध्ययन
मुंबई./दि.24– जिन राज्यों में लड़कों के मुकाबले लड़कियों का औसत ज्यादा है, वहां से जानकारी मंगाकर उनकी नीतियों का अध्ययन किया जाएगा और राज्य में उसके मुताबिक कदम उठाने की कोशिश की जाएगी. साथ ही राज्य सरकार उत्तर प्रदेश की तर्ज पर बेटियों की शादी के लिए आर्थिक मदद देने पर भी विचार करेगी. बेटियों के पैदा होने पर आर्थिक मदद देने पर भी विचार किया जाएगा. बुधवार को स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने विधानसभा में यह जानकारी दी.
प्रश्नकाल के दौरान शिवसेना के तानाजी सावंत, भाजपा की भारती लवेकर, हरिभाऊ बागडे, कांग्रेस के नाना पटोले आदि सदस्यों के सवाल के जवाब में टोपे ने बताया कि 2016 में राज्य में एक हजार लड़कों के मुकाबले874 लड़कियां थी जो वर्ष 2019 तक प्रति हजार बढ़कर 913 तक पहुंच गई हैं. इसे एक हजार लड़कियों की आदर्श स्थिति तक पहुंचाने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने बताया कि पीसीपीएनडीटी कानून पर कड़ाई से अमल किया जा रहा है.
एक-एक बेटी से खुश हैं पवार-फडणवीस
20 जनवरी से 28 फरवरी के बीच स्टेट सुपरवाइजरी बोर्ड ने 10372 सोनोग्राफी सेंटरों की जांच की है. गड़बड़ी मिलने के बाद 181 को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है. तीन मशीनें सील की गई है. 5927 एमटीपी की भी जांच की गई है. इनमें से 73 को अनियमितता सामने आने पर नोटिस दिया गया है. 15 सेंटर बंद कर दिए गए हैं. साथ ही टोपे ने कहा कि मानसिकता, खर्च और पुरुष प्रधान समाज के चलते ज्यादा समस्या है. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि एक बच्चे के जन्म के बाद दूसरा बच्चा क्यों चाहिए. शरद पवार और देवेन्द्र फडणवीस की एक-एक बेटियां हैं और वे खुश हैं.
चंद्रपुर में 1000 लड़कों 1025 लड़कियों का जन्म
पिछले पांच वर्षों में चंद्रपुर जिले में 1000 लड़कों पर 1025 लड़कियों का जन्म हुआ है. इससे पता चलता है कि जिले में लड़कियों की जन्मदर ज्यादा है. कांग्रेस की प्रतिभा धानोरकर द्वारा विधानसभा में पूछे गए सवाल के लिखित जवाब में महिला एवं बाल कल्याण मंत्री यशोमती ठाकूर ने यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय परिवार कल्याण सर्वेक्षण के आंकड़ों के मुताबिक 2019-20 में चंद्रपुर जिले में एक हजार पुरुषों के मुकाबले 974 महिलाएं थीं.