महाराष्ट्र

एक किमी. दायरे में सरकारी या अनुदानित स्कूल तो निजी स्कूल में नहीं मिलेगा प्रवेश

स्कूली शिक्षा विभाग के फैसले से अभिभावक परेशान, निजी स्कूलों के प्रबंधन खुश

* आरटीई पर सरकार ने बदली नीति
मुंबई/दि.16– शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) के तहत निजी स्कूलों की 25 फीसदी सीटों पर आर्थिक कमजोर वर्ग के विद्यार्थियों को दाखिला देने से जुडे कानून में स्कूली शिक्षा विभाग ने बडा बदलाव किया हैं. नए नियम के मुताबिक गरीब विद्यार्थियों को आरटीई के तहत निजी स्कूलों में तभी दाखिला दिया जाएगा जब उस स्कूल के एक किलोमीटर के दायरे में कोई सरकारी या अनुदानित स्कूल नहीं होगा. सरकार का यह फैसला खासकर शहरी इलाकों में रहने वाले गरीब परिवारों के लिए बडा झटका माना जा रहा हैं. क्योंकि इससे उनके बच्चों के लिए निजी स्कूलों में मुफ्त शिक्षा का रास्ता बन सकता हैं. इस फैसले से जहां एक ओर आर्थिक रुप से कमजोर अभिभावक परेशान हैं वहीं निजी स्कूलों के प्रबंधक बेहद खुश हैं. कर्नाटक में इस तरह का नियम पहले से ही था.

* क्या हैं आरटीई कानून
आरटीई कानून के तहत निजी स्कूलों की 25 फीसदी सीटों पर आर्थिक कमजोर विद्यार्थियों को दाखिला दिया जाता हैं. इसकी मांग कितनी हैं, इसे इस बात से समझा जा सकता हैं कि, शैक्षणिक सत्र 2023-24 के लिए उपलब्ध 94700 सीटों के लिए 3 लाख 64 हजार 413 विद्यार्थियों ने आवेदन किए थे. आरटीई के तहत दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों की शिक्षा का खर्च राज्य और केंद्र सरकार मिलकर उठाते हैं.

1800 करोड पहुंच गया था बकाया
आरटीई के तहत सरकार निजी स्कूलों को भुगतान नहीं कर पा रही थी. बकाया बढकर 1800 करोड के पार पहुंच गया था. इसके खिलाफ निजी स्कूल विरोध प्रदर्शन कर रहे थे और धमकी दे रहे थे कि, वे आगामी शैक्षणिक सत्र में आरटीई के तहत दाखिला नहीं देंगे.

आरटीई के तहत आर्थिक रुप से कमजोर विद्यार्थियों को निजी स्कूलो में पढने का मौका मिल रहा था. लेकिन अब संभव नहीं होगा. अब अमीरों और गरीबों के लिए अलग-अलग स्कूल हो जाएंगे. इस फैसले के बाद शहरी इलाकों के निजी स्कूलों में तो आरटीई के दाखिले ही बंद हो जाएंगे.
– मुकुंद किर्दत, अभिभावक संगठन, आप

सरकार आर्थिक रुप से कमजोर लोगों को अनुदान की अपनी जिम्मेदारी से भाग रही हैं. इससे निजी संस्थाओं को फायदा होगा. आरटीई की मान्यता के बिना चलने वाले स्कूलों के खिलाफ दायर जनहित याचिका में हम इस मुद्दे को प्रमुखता से शामिल करेंगे.
– नितीन दलवी, महाराष्ट्र राज्य विद्यार्थी शिक्षक महासंघ.

सरकार के इस फैसले का हम स्वागत करते हैं. सरकार शिक्षकों को वेतन देती हैं. लेकिन स्कूलों में विद्यार्थी नहीं जाते थे. अब सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के पास पढाने के लिए विद्यार्थी होंगे. सरकार अनुदान भी देती थी और सरकारी स्कूल भी चलाती थी. अब उसका दोहरा खर्च कम होगा. कई संपन्न लोग भी फर्जी दस्तावेज तैयार कर अपने बच्चों का आरटीई के तहत दाखिला कराने की कोशिश करते थे, यह भी बंद होगा.
– संजयराव तायडे पाटिल, संस्थापक अध्यक्ष, महाराष्ट्र इंग्लिश स्कूल ट्रस्टी एसोसिएशन

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