मेलघाट की माडीझडप शाला में एक विद्यार्थी और दो शिक्षक
400 की आबादी वाले गांव में विकास और कोई मूलभूत सुविधा नहीं
अमरावती/दि.04– समाज सुधारक शिक्षा के बगैर कोई उपाय नहीं, ऐसा ढिंढोरा पिटते रहते है. राज्य के वित्तिय बजट में भी शिक्षा के लिए अनेक प्रावधान है. फिर भी राज्य के ग्रामीण क्षेत्रो में शालाओं की अवस्था समाधानकारक नहीं है. ऐसा ही एक मामला जिले के मेलघाट बहुल क्षेत्र के माडीझडप ग्राम की जिला परिषद शाला का सामने आया है. 400 की आबादी वाले गांव में पहली से पांचवीं तक जिला परिषद शाला में दो शिक्षक कार्यरत रहे तो भी इस शाला में केवल एक विद्यार्थी ही है.
विदर्भ के नंदनवन के रुप में विख्यात चिखलदरा तहसील के सीमा पर माडीझडप यह 400 की आबादी वाला आदिवासी बहुल गांव है. रोजगार के अभाव में यहां के आदिवासी कई बार स्थलांतर करते रहते है. इसका असर उनके बच्चों पर होता है. माडीझडप ग्राम की शाला को अमरावती जिला परिषद के शिक्षा विभाग ने आवागढ केंद्र से जोडा है. कक्षा पहली से पांचवीं तक यह शाला है. इसके लिए दो शिक्षको की नियुक्ति की गई है. दो में से एक शिक्षक माडीझडप ग्राम में मुक्काम रहते है. तथा एक शिक्षक आना-जाना करते है. चिखलदरा तहसील के जिला परिषद की सबसे कम पटसंख्या के रुप में माडीझडप शाला को पहचाना जाता है. वैसे आसपास के क्षेत्र की अन्य शालाओं में भी 10 से 15 विद्यार्थियों की पटसंख्या है.
* शाला, शिक्षक और विद्यार्थी बचाए
कुछ माह पूर्व बिच्छुखेडा ग्राम की जिला परिषद शाला बंद हो गई. मेलघाट में जिला परिषद शालाओं में बिजली, पानी और मूलभूत सुविधा नहीं है. इस कारण धीरे-धीरे जिला परिषद की शाला बंद हो रही है. एक माह पूर्व माडीझडप शाला को भेंट दी गई तब बोर्ड पर एक ही विद्यार्थी पहली कक्षा में रहने की बात पता चली. पहली से पांचवीं तक यहां कक्षाए है और दो शिक्षक है. इस कारण राजनीतिक नेता, पालक, प्रशासन और समाज ने देश के भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए शाला, शिक्षक और विद्यार्थी बचाने के लिए सामने आना जरुरी है, ऐसी प्रतिक्रिया खोज संस्था के बंड्या साने ने दी.
* एक नहीं तीन विद्यार्थी है शाला में
माडीझडप शाला में पहली से पाचवीं तक कक्षाए है. कुछ दिन पूर्व पालको ने दो विद्यार्थियों को आश्रमशाला में भेजा था. लेकिन अब वह दोनों विद्यार्थी वापस लौट आए. फिलहाल और दो शिक्षक इस शाला में है.
– रामेश्वर मालवे, खंडविकास अधिकारी, चिखलदरा.