ऑनलाईन बीमा लेनेवाले डार्क पैटर्न के शिकार
सर्वे में 61 प्रतिशत लोगों ने माना पॉलिसी रद्द करते समय हुई परेशानी
मुंबई/दि. 17– ऑनलाईन बीमा पॉलिसी लेने के लिए जिस तरह से प्रचार-प्रसार किया जाता है उसमें हकिकत काफी अलग है. एक स्थानीय संस्था के सर्वे में ऑनलाईन बिमा लेनेवालो ने माना है कि, इस दौरान वह डार्क पैटर्न के शिकार हुए है. उनसे अनावश्यक कागजात की मांग की गई. सबक्रिप्शन के लिए बार-बार संपर्क कर दबाव बनाया गया. योजना के संदर्भ में भ्रमित करनेवाली जानकारी दी गई.
सबसे बडी बात है कि, सर्वे में जिन लोगों की राय ली गई उनमें से 61 प्रतिशत लोगों की राय थी कि, वे डार्क पैटर्न के शिकार हुए है. लेकिन सर्कल संस्था के सर्वे में 61 प्रतिशत लोगों ने माना की उन्हें सदस्यता लेने के लिए मजबूर किया गया था. जबकि ऑनलाईन प्लेटफॉर्म इस तरह से डिजाईन किए जाते है जिन्हें ना कहना या योजना रद्द करना आसान नहीं होता. सर्वे में शामिल 86 प्रतिशत लोगों ने बताया कि, जब उन्होंने बीमा योजना को रद्द करने का प्रयास किया तब उन्हें मुश्कीलों का सामना करना पडता है. इसके लिए आवेदन में परेशान करनेवाले तरीके अपनाएं जाते है. 57 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने माना की ऐसे ऑनलाईन प्लेटफॉर्म अक्सर अवांशिक जानकारी लेने अथवा व्यक्तिगत विवरण का दुरुपयोग करने के लिए विवरण की मांग करते है.
* क्या है डार्क पैटर्न
डार्क पैटर्न ग्राहको को गुमराह कर उन्हें सही विकल्प चुनने से रोकने के लिए ऑनलाईन प्लेटफॉर्म द्वारा इस्तेमाल किया जानेवाला तरीका है. उपयोग कर्ताओं को गुमराह करने अथवा धोखा देने के उद्देश्य से भ्रामक डिजाईन पैटर्न बनाया जाता है.
* कार्रवाई की मांग
पॉलिसीधारक बीमा योजना खरीदने अथवा नविनीकरण के लिए इंटरनेट का सहारा ले रहे है. जहां उन्हें डार्क पैटर्न का सामना करना पडता है. लोकल सर्कल संस्था के संस्थापक सचिन तापडिया ने कहा कि, ऑनलाईन बीमा खरीददारो को भ्रामक विज्ञापन अथवा अनुचित व्यापार व्यवहार उपभोक्ता अधिकारो का उल्लंघन है.
* 309 जिलो में सर्वेक्षण
सर्वेक्षण देश के 309 जिलो में किया गया था. जिसमें 36 हजार से अधिक लोगों की प्रक्रिया मिली. इसमें 66 फीसद उत्तरदाता पुरुष थे और 34 फीसद महिलाएं थी. 49 प्रतिशत उत्तरदाता टियर एक शहरो से थे और 24 प्रतिशत टियर दो से थे. 27 प्रतिशत उत्तरदाता टियर 3 और 4 ग्रामीण जिलो से थे.