मुंबई/दि.14– ग्राहकों को अपनी शिकायत बाबत न्यायालय में जाने की बजाए उनका समय और पैसा बचाने की दृष्टि से अलग से प्रभावी मंच उपलब्ध करने के मकसद से मुंबई ग्राहक पंचायत द्वारा सूचित किए मुताबिक केंद्रीय ग्राहक व्यवहार मंत्रालय ने न्यायालय- पूर्व ऑनलाइन पर्यायी शिकायत निवारण मंच यंत्रणा की स्थापना करने के लिए प्रक्रिया शुरू की है. इस संदर्भ में अत्याधनिक ऑनलाइन शिकायत निवारण यंत्रणा निर्माण के लिए केंद्र ने निविदा मंगवाई है.
हर वर्ष केंद्र सरकार की नेशनल कंझ्यूमय हेलपलाइन (अनसीएच) पोर्टल पर असंख्य ग्राहक शिकायत करते रहते है. पिछले कुछ वर्षो में ऐसी शिकायते बढ़ी है. हेल्पलौइन की तरफ से ऐसी शिकायते संबंधित कंपनी के पास भेजे जाने के बाद कुछ शिकायतो का निवारण होगा. लेकिन जिन ग्राहकों की शिकायतो का निवारण नहीं होता, उन्हें हेल्पलाइन से न्यायालय में जाने की सलाह दी जाती है. ऐसी परिस्थिति में कम मूल्य रही शिकायत बाबत ग्राहक प्रयास करना छोड देते है. जिन ग्राहकों की शिकायत मूल्य अधिक रहती है, वह ग्राहक न्यायालय में जोते ही जरूर, लेकिन पहले ही प्रलंबित प्रकरणो की संख्या काफी रहते अधिकांश लोगों को परेशानी होती है. इस कारण हेल्पलाइन स्तर पर निवारण न हो पाने से शिकायतो को सीधे ग्राहक न्यायालय का मार्ग दिखाने की बजाए मध्यस्थी के जरिए अथवा सलोखा के जरिए शिकायतो को निपटाने की लिए न्यायालय-पूर्व ऑनलाइन पर्यायी शिकायत निवारण मंच निर्माण करने की सूचना मुंबई ग्राहक पंचायत ने की थी. कम खर्च और समय पर शिकायत का निवारण कर ग्राहकों को बडी राहत मिलेगी. साथ ही ग्राहक न्यायालय में दाखिल होने वाली शिकायत की संख्या कम होगी. संसद ने हाल ही में मध्यस्थी का कानून भी सहमत किए जाने से ग्राहक पंचायत की मांग को कानूनी दायरे का लाभ मिला. नव वर्ष की शुरूआत में ही यानि जनवरी माह में यह यंत्रणा कार्यान्वित होने की संभावना व्यक्त की जा रही है. केंद्र सरकार ने अब यह ठोस कदम उठाए रहने से मुंबई ग्राहक पंचायत द्वारा वर्ष 2018 से किए गए अथक प्रयासो को जल्द सफलता मिलने की संभावना है.
* ऐसी है प्रक्रिया
– ऑनलाइन प्रक्रिया में एआय का इस्तेमाल.
– मध्यस्थी द्वारा शिकायत निवारण का प्रयास, उसमें सफलता न मिलने पर प्रशिक्षित, अनुभवी मध्यस्थी की सहायता.
– इसमें सफलता मिलने पर शिकायतकर्ता व प्रतिवादी में समझौता करार.
– करार में मध्यस्थी कानून के मुताबिक न्यायालयीन आदेश समझकर उसे दोनों पक्षो को अनिवार्य.
– इस कारण किसी को अपील करने की आवश्यकता नहीं.
– दोनों पक्षकारो में समझौता न होने पर शिकायतकर्ता को ग्राहक न्यायालय में जाने की छुट.