महाराष्ट्र

विधानसभा में 5 वर्ष दौरान हुआ महज 131 दिन का कामकाज

प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र से औसतन 4 प्रश्न आये सदन के पटल पर

* 5 वर्ष दौरान विधिमंडल समितियों का कामकाज रहा शुन्य
* स्वास्थ्य व महिलाओं से संबंधित प्रश्नों में हुई दो गुना वृद्धि
* मुंबादेवी के विधायक अमिन पटेल सवाल पूछने में रहे सबसे आगे
* 27 विधायकों द्वारा केवल इक्का-दुक्का मसले उठाये गये
* सदन में 10 मुस्लिम विधायक, अल्पसंख्यकों के केवल 9 सवाल
मुंबई/दि.9 – महाराष्ट्र की 14 वीं विधानसभा आगामी नवंबर माह में विसर्जित होने जा रही है. वर्ष 2019 के चुनाव पश्चात अस्तित्व में आयी मौजूदा विधानसभा के लिए वर्ष 2024 तक का समय राजनीतिक तौर पर काफी उथल-पुथल भरा रहा और इन 5 वर्षों के दौरान विधान मंडल ने दो सरकारों को देखा. इसी दौरान कोविड जैसी महामारी की वजह से भी विधानसभा के कामकाज पर काफी हद तक परिणाम हुआ और इस विधानसभा के कुल 12 अधिवेशनों में 131 दिन कामकाज हुआ. इस दौरान कुल 5 हजार 921 प्रश्न विधानसभा में सदन के पटल पर रखे गये. कोविड काल के बाद स्वास्थ्य एवं महिला विषयकप्रश्नों में दोगुना अधिक वृद्धि हुई. वहीं बच्चों से संबंधित प्रश्न घटकर आधे हो गये. साथ ही सबसे कम केवल 9 सवाल अल्पसंख्यकों की समस्या को लेकर पूछे गये.
इन 5 वर्षों के दौरान मुंबई उपनगर जिले से सर्वाधिक 2110 तथा नंदूरबार जिले से सबसे कम 74 प्रश्न विधानसभा में उपस्थित हुए थे. वहीं प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र से प्रतिवर्ष औसतन केवल 4 प्रश्न पूछे गये. इस दौरान मुंबादेवी के कांग्रेस विधायक अमिन पटेल द्वारा सर्वाधिक 656 प्रश्न उपस्थित किये गये. वहीं 27 विधायक ऐसे भी रहे. जिन्होंने इन 5 वर्षों के दौरान एक्का दुक्का सवाल ही उपस्थित किये. संपर्क नामक संस्था द्वारा किये गये अध्ययन के जरिए यह निष्कर्ष निकाला गया है.
* किस विषय को लेकर कितने प्रश्न पूछे गये?
– महिला विषयक
महिलाओं से संबंधित विषयों को लेकर कुल 119 यानि 2.01 फीसद प्रश्न उपस्थित किये गये जिसमें से 60 प्रश्न महिला विधायकों द्वारा पूछे गये और 59 विधायकों ने 5 वर्ष के दौरान महिलाओं से संबंधित विषय पर केवल एक-एक प्रश्न ही उपस्थित किया. साथ ही 84 विधायक ऐसे रहे जिन्होंने इस विषय को लेकर 5 वर्ष दौरान एक भी प्रश्न नहीं पूछा.
– बालक विषयक
बच्चों की समस्याओं को लेकर विगत 5 वर्ष दौरान केवल 129 सवाल पूछे गये और पिछले कार्यकाल की तुलना में जारी कार्यकाल दौरान यह संख्या लगभग आधी रही. खास बात यह रही कि, 98 विधायकों द्वारा इस मुद्दें को लेकर एक भी सवाल नहीं पूछा गया.
– खेती व सिंचाई
खेती व सिंचाई से संबंधित विषय को लेकर विगत 5 वर्ष दौरान 555 प्रश्न उपस्थित किये गये. जिसके तहत कर्जमाफी की योजना पर प्रभावी अमल नहीं होने को लेकर सबसे अधिक प्रश्न पूछे गये.
– आदिवासी विषयक
आदिवासियों से संबंधित समस्याओं को लेकर विगत 5 वर्ष दौरान 138 प्रश्न पूछे गये. जिसके तहत आदिवासी क्षेत्रों में जलापूर्ति, खावटी योजना पर अमल, ठक्कर बाप्पा योजना की निधि, आश्रम शाला, कुपोषण तथा माता व बालमृत्यु जैसे विषयों को लेकर सर्वाधिक सवाल पूछे गये.
– स्वास्थ विषयक
कोविड काल के चलते विधानसभा में स्वास्थ्य से संबंधित 451 प्रश्न पूछे गये, जो कुल प्रश्नों की तुलना में 3.5 फीसद रहे. साथ ही विगत विधानसभा की तुलना में स्वास्थ्य संबंधित प्रश्नों में 2 फीसद की वृद्धि हुई. जिनमें सर्वाधिक प्रश्न रिक्त पदों, मूलभूत सुविधाओं, दवाईयों की किल्लत व घोटाले से संबंधित रहे.
– शालेय शिक्षा विषयक
शालेय शिक्षा से संबंधित विषयों को लेकर 257 यानि 4.34 फीसद प्रश्न पूछे गये. पिछली बार की तुलना में इस बार शालेय शिक्षा से संबंधित प्रश्नों का प्रमाण 2 फीसद से घट गया. शालेय शिक्षा के विषय को लेकर विधायक अमिन पटेल ने 86 तथा महिला विधायकों में से विधायक मनीषा चौधरी ने 32 प्रश्न पूछे. वहीं 86 विधायक ऐसे भी रहे, जिन्होंने इस विषय को लेकर एक भी सवाल नहीं पूछा.
– सांस्कृतिक विषयक
25 विधायकों के समर्थन से विविध मंदिरों को लेकर 27 प्रश्न पूछे गये. वहीं किलों के संवर्धन हेतु 20 विधायकों ने मिलकर 10 प्रश्न पूछे. इसके अलावा अरब सागर में छत्रपति शिवाजी महाराज का पुतला स्थापित करने को लेकर 40 विधायकों द्वारा विविध प्रश्न पूछे गये. वहीं अन्य 36 विधायकों ने भी विविध सांस्कृतिक विषयक मुद्दें उपस्थित किये.
– व्यवसाय कौशल्य विषयक
व्यवसाय कौशल्य से संबंधित विषय को लेकर विगत 5 वर्षों के दौरान 22 प्रश्न पूछे गये. जिसमें से 10 प्रश्न निधि व सुविधाओं को लेकर, 9 प्रश्न बोगस प्रशिक्षण को लेकर व 3 प्रश्न छात्रवृत्ति को लेकर पूछे गये थे.
– अल्पसंख्यक विषयक
विधानसभा में 10 मुस्लिम विधायक है, लेकिन इसके बावजूद अल्पसंख्यकों से संबंधित विषयों को लेकर सबसे कम 9 यानि 0.15 प्रश्न उपस्थित किये गये. जिसमें से एक तिहाई प्रश्न वक्फ की जमीनों को लेकर थे.
* भाजपा की ओर से पूछे गये सबसे अधिक प्रश्न
विगत 5 वर्ष दौरान भाजपा द्वारा विधानसभा में सर्वाधिक 2878 प्रश्न पूछे गये. वहीं कांगे्रस द्वारा 1670, शिवसेना द्वारा 1617, राकांपा द्वारा 1337, बहुजन विकास आघाडी द्वारा 137, रासप द्वारा 23, सपा द्वारा 307, मनसे द्वारा 84, एमआईएम 68, जनसुराज्य शक्ति पार्टी द्वारा 23, प्रहार जनशक्ति पार्टी द्वारा 27, स्वाभिमानी पार्टी द्वारा 49, माकपा द्वारा 237 प्रश्न उपस्थित किये गये. वहीं जुलाई 2023 के बाद शरद पवार गुट वाली राकांपा द्वारा 126 व शिवसेना उबाठा द्वारा 137 प्रश्न पूछे गये. कांग्रेस की ओर से खेती किसानी, नीति नियोजन तथा महिलाओं व शिक्षा के संदर्भ में सर्वाधिक प्रश्न उपस्थित किये गये. वहीं भाजपा ने बालक, आरोग्य, घोटाले व आर्थिक गडबडियों से संबंधित विषयों को लेकर सर्वाधिक सवाल उठाये.
* पहली बार विधि मंडल समितियों का कामकाज रहा शून्य
विगत 5 वर्षों के दौरान राज्य में विधि मंडल समितियों का कामकाज पूरी तरह से शुन्य रहा. महाविकास आघाडी सरकार द्वारा गठित की गई विधि मंडल समितियों को कोविड काल के दौरान काम करने का मौका ही नहीं मिला. इसके बाद राज्य में हुए सत्ता परिवर्तन पश्चात महायुति सरकार ने पुरानी समितियों को बर्खास्त कर दिया. लेकिन नई समितियों का गठन भी नहीं किया. जिसके चलते राज्य विधानसभा के इतिहास में पहली बार विधि मंडल समितियों का कामकाज शुन्य रहा.
* ये रहे टॉप-7 विधायक
अमिन पटेल 656, आशीष शेलार 560, असलम शेख 532, मनीषा चौधरी 449, कुणाल पाटिल 357, प्रतिभा धानोरकर 316 व विनोद निकोले 237 सवाल पूछते हुए सर्वाधिक प्रश्न पूछने वाले 7 विधायक है. इसके साथ ही 26 महिला विधायकों में सर्वाधिक प्रश्न पूछने वाली विधायक मनीषा चौधरी रही. वहीं पहली बार चुनकर आये 92 विधायकों में सर्वाधिक प्रश्न पूछने के मामले में विधायक प्रतिभा धानोरकर सबसे आगे रही.

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