* 2029 में मिलेगा 33 फीसद आरक्षण
मुंबई/दि.17– देश में कुल मतदाताओं में आधे से ज्यादा महिला मतदाता हैं. इससे हम चुनावी प्रक्रिया में महिला शक्ति के महत्व को समझ सकते हैं. हालांकि नारी शक्ति को अभी और अधिक लोकतांत्रिक शक्ति की आवश्यकता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि पश्चिम विदर्भ की पांच लोकसभा सीटों के लिए नामांकन करने वाले 133 उम्मीदवारों में से केवल 12 यानी 9 प्रतिशत महिला उम्मीदवार हैं. हालांकि लगभग सभी राजनीतिक दल एकमत होकर महिलाओं की भागीदारी बढाने की बात कर रहे हैं, लेकिन हकीकत यह है कि चुनावों में महिलाओं की भागीदारी कम है.
* राजनीतिक दलों के सिर्फ दो उम्मीदवार
अमरावती और यवतमाल से राजनीतिक दलों की केवल दो महिलाएं प्रतिनिधित्व कर रही है. एक तरह से देश में सबसे बडे लोकतंत्र उत्सव में महिलाओं के प्रतिनिधित्व की कमी पिछडेपन के लक्षण है. खासतौर पर पिछले साल संसद में मंजूर हुए महिला आरक्षण विधेयक को सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने समर्थन दिया था. अमरावती से भाजपा ने नवनीत राणा को तथा शिवसेना (शिंदे गट) ने राजश्री पाटिल को यवतमाल-वाशिम से उम्मीदवारी दी है.
* अन्य उम्मीदवार निर्दलीय
अमरावती में सबसे ज्यादा 49 आवेदन आए थे. जांच के बाद 12 आवेदन खारिज कर दिए गए, जिससे संख्या 37 हो गई. इनमें आधा दर्जन महिला प्रत्याशी हैं. इसके बाद यवतमाल-वाशिम (17), वर्धा (24), बुलडाणा (21), गोंदिया (18) और अकोला (15) हैं. सबसे ज्यादा अमरावती से छह महिला उम्मीदवार मैदान में हैं. इसके बाद यवतमाल-वर्धा से 2-2 और अकोला-बुलढाणा-गोंदिया से एक-एक महिला उम्मीदवार मैदान में हैं.
* किसकी कितनी हिस्सेदारी
निर्वाचन क्षेत्र पुरुष महिला कुल
अमरावती 31 6 37
यवतमाल 17 2 19
अकोला 15 1 16
वर्धा 24 2 26
बुलडाणा 21 – 21
गोंदिया 18 1 19
* विदर्भ में महिला सांसदों का एक समृद्ध इतिहास
दिलचस्प बात यह है कि विदर्भ में लोकसभा चुनावों में महिला उम्मीदवारों को चुनने का एक समृद्ध इतिहास रहा है. नागपुर की पहली सांसद अनुसूया बाई काले थी. वह 1952 और 1957 में चुनी गई. वरिष्ठ कांग्रेस नेता स्वर्गीय प्रभा राव 1999 में वर्धा से सांसद चुनी गईं. वर्तमान में, नवनीत राणा विदर्भ के सभी 10 लोकसभा क्षेत्रों से एकमात्र मौजूदा सांसद हैं. अमरावती से उषा चौधरी 90 के दशक में दो बार संसद पहुंची थी.
* महिला आरक्षण 2029 से लागू होगा
महिला आरक्षण विधेयक के पारित होने के बाद 2029 में परिसीमन प्रक्रिया के बाद 2029 से लोकसभा और विधानसभा चुनावों में 33 प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी. हालांकि, इस साल का लोकसभा चुनाव महिलाओं की भागीदारी बढाने के लिए आधार तैयार कर सकता था. खासकर तब जब चुनाव में महिलाओं की भागीदारी महिला सशक्तिकरण के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है.