महाराष्ट्र

बिजली बिल और मराठा आरक्षण को लेकर विपक्ष ने जमकर घेरा सरकार को

विधान मंडल के शीतसत्र का दूसरा दिन भी रहा हंगामाखेज

  • नेता प्रतिपक्ष फडणवीस ने सरकार पर किये जमकर प्रहार

मुंबई /दि.१५ – राज्य विधानमंडल में शीतसत्र के दूसरे व अंतिम दिन विपक्ष काफी हद तक सरकार भारी पडता दिखाई दिया. विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष देवेेंद्र फडणवीस ने नि:शुल्क बिजली और विद्युत बिल माफी के संदर्भ में सरकार द्वारा जनता से की गई वादाखिलाफी के मामले को जमकर उठाने के साथ ही मराठा आरक्षण के मसले को लेकर भी सरकार पर जबर्दस्त ढंग से प्रहार किये.
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि, इस सरकार ने सत्ता में आते समय राज्य की जनता को 100 यूनिट तक की नि:शुल्क बिजली देने का वादा किया था. इसी तरह कोरोना काल के दौरान आये बिजली बिलों में छूट व सहूलियत देने का वादा भी राज्य के उर्जामंत्री नितीन राउत द्वारा किया या था. जिसके लिए उन पर किसी ने कोई जोरजबर्दस्ती नहीं की थी. वहीं इसके बाद इस मसले को लेकर सरकार में शामिल अलग-अलग दलों के मंत्रियों ने अलग-अलग बयान दिये है. जबकि अब तक मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे ने इस मामले में अपने मुंह से एक भी शब्द नहीं कहा है. जिसका सीधा मतलब है कि, विद्युत बिलों में राहत देने के मामले में इस सरकार में आम सहमति नहीं है और हर कोई अपनी मर्जी के मुताबिक बयान दे रहा है. वहीं ऐसा करते हुए राज्य की जनता को बेवकूफ बनाया जा रहा है.
इस समय सरकार पर अपने हमले को तेज करते हुए नेता प्रतिपक्ष फडणवीस ने कहा कि, उर्जा मंत्री राउत जितनी बिजली उपयोग में लायी गयी, उतनी बिजली का पैसा भरना ही पडेगा. इस आशय की बात कह रहे है. इससे कोई इन्कार भी नहीं कर रहा, लेकिन जो बिजली प्रयोग में ही नहीं लायी गयी, उसका भी जो बिल आया है, उस बारे में तो सरकार अपनी भुमिका स्पष्ट करें. इस समय आघाडी सरकार में जारी सिर-फुटव्वल पर तंज कसते हुए फडणवीस ने कहा कि, सरकार में शामिल घटक दल चाहे तो एक-दूसरे के सिर फोड ले, लेकिन जनता के साथ किये गये वादे को पूरा जरूरी करें.

  • फडणवीस की भुमिका का अध्यक्ष पटोले ने किया समर्थन

जिस समय नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस विद्युत बिलों के मसले को लेकर सरकार को घरे रहे थे, तब सत्ता पक्ष द्वारा उनका विरोध किया जा रहा था. इस समय विधानसभा अध्यक्ष नाना पटोले ने सत्ता पक्ष को शांत करते हुए देवेंद्र फडणवीस द्वारा रखी जा रही बातों का समर्थन किया. साथ ही कहा कि, महाराष्ट्र में बिजली के औसत बिल देने की जो पध्दति है, उसे तत्काल रोका जाना चाहिए. साथ ही इसमें आवश्यक बदलाव भी किया जाना चाहिए.

  • मराठा आरक्षण के मसले को लेकर सडक पर उतरेंगे

इसके साथ ही मराठा आरक्षण के मसले पर फडणवीस ने कहा कि, राज्य की पूर्ववर्ती सरकार ने मराठा समाज को आरक्षण देते हुए सामाजिक सुरक्षा देने का काम किया था और हमारे कार्यकाल में सुप्रीम कोर्ट ने इस आरक्षण की सुनवाई के दौरान कभी स्थगनादेश नहीं दिया. साथ ही हमने मराठा आरक्षण की मांग करनेवाले मराठा आंदोलकों को भी आंदोलन करने से भी नहीं रोका, लेकिन मौजदा सरकार हर मोर्चे पर विफल साबित हुई है. जहां एक ओर सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण पर स्थगनादेश जारी किया है, वहीं सरकार ने कोर्ट द्वारा बिना पूछे ही पद भरती रोकने की बात कह दी. जिसकी वजह से पदभरती की प्रक्रिया पूर्ण कर चुके कई मराठा युवा आज अपने घर पर बैठने को मजबूर है और सरकार उनसे चर्चा करने को भी तैयार नहीं. साथ ही उन्हें मोर्चो निकालने और मुंबई आने की अनुमति तक नहीं दी जा रही. बल्कि मराठा मोर्चा के समन्वयकों को गिरफ्तार भी किया जा रहा है. इसके साथ ही ओबीसी समाज के आरक्षण को लेकर भी यह सरकार संभ्रम फैला रही है. वहीं दूसरी ओर संविधान की शपथ लेकर मंत्री बने हुए लोग इस समय मोर्चे निकाल रहे है. जबकि ऐसा करने से पहले उन्होंने अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए.

  • कंगना व अर्णब के बयानों से हम सहमति नहीं, लेकिन…

विधानसभा में विशेषाधिकार हनन के प्रस्ताव पर चर्चा करते हुए नेता प्रतिपक्ष फडणवीस ने कहा कि, अभिनेत्री कंगना रणौत व पत्रकार अर्णब गोस्वमी द्वारा दिये गये बयानों से हम सहमत नहीें है, क्योंकि हमारे मुख्यमंत्री का उल्लेख सम्मानजनक ढंग से ही होना चाहिए. ठीक इसी तरह देश के प्रधानमंत्री का उल्लेख भी सम्मानपूर्ण ढंग से ही किया जाना चाहिए. यह बात भी ध्यान में रखी जानी चाहिए. साथ ही उन्होंने यह तंज भी कसा कि, नेता प्रतिपक्ष का उल्लेख आप चाहे जिस तरह कर सकते है, क्योंकि नेता प्रतिपक्ष (फडणवीस) ऐसी बातों से निपटने में सक्षम है. इस समय ठाकरे सरकार की आलोचना करते हुए फडणवीस ने कहा कि, यदि इस सरकार के खिलाफ सोशल मीडिया पर एक वाक्य भी लिख दिया जाता है, तो संबंधित व्यक्ति को तुरंत ही गिरफ्तार कर लिया जाता है या फिर सरकार में शामिल दलों के लोग उससे मारपीट करने पहुंच जाते है, यह भी एक तरह का आपातकाल ही है.

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