महाराष्ट्र

दलहन के भंडारण पर नियंत्रण के कानून का विरोध

व्यापारियों ने कहा- स्टॉक लिमिट सभी के लिए नुकसानदेह

मुंबई/दि.५ – दलहन के भंडारण को नियंत्रित करने के लिए बनाए गए केंद्र सरकार ने नए कानून का व्यापारियों ने विरोध किया है. देशभर के करीब 10 करोड व्यापारियों ने कानून पर नाराजगी जताते हुए देश के अधिकांश मंडियों में हडताल शुरु कर दी है. दरअसल, सरकार ने दो जुलाई को एक अधिसूचना जारी कर मूंग को छोडकर अन्य सभी दालों पर थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं, मिलर और आयतकों पर स्टॉक रखने की सीमा तय कर दी. व्यापारियों का दावा है कि, सरकार के इस फैसले से किसान, दलहन व्यापारी, आढतिया, मिलर, आयातक, उपभोक्ता सभी बुरी तरह प्रभावित होंगे.
ग्रेन, राइस एंड आयलसीड्स मर्चेंड्स एसोसिएशन (ग्रोमा) के अध्यक्ष शरद कुमार मारु ने सरकार के कानून का कडा विरोध करते हुए कहा कि, पूरे देश में आज भी एमएसपी से कम भाव है. सरकार ने एससेंसियल कॉमोडिटी एक्ट रद्द किया क्योंकि व्यापारी, मिलर आदि ज्यादा माल खरीद सके, जिससे डिमांड बढ जाएगी. किसानों के माल का भाव बढ जाएगा. उनको ज्यादा फायदा मिलेगा. लेकिन सरकार के नए फैसले का उल्टा असर पडेगा. इससे साल 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वादे का पूरा होना भी संभव नहीं रहा. नवी मुंबई ग्रोमा के सचिव भीमजी भानुशाली ने कहा कि, दलहन की पैदावार को किसानों को तीन महीने में बेचना होता है जिसमें 10 प्रतिशत अनाज सरकार किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदती है. बाकी 90 प्रतिशत आढतिया, मिलर, कारपोरेट, व्यापारी खरीदकर किसानों को सहयोग करते हैं. अगली पैदावार आने तक एक साल में बेचते है. अगर भंडारण पर रोक लग जाएगी तो कारोबारी दलहन नहीं खरीदेंगे इसका सीधा नुकसान किसानों को होगा. भंडारण नियंत्रित करने के विरोध में पूरे देश की अधिकांश मंडिया बंद हैं. कारोबारी आदेश रद्द न होने पर बेमियादी हडताल की धमकी दे रहे हैं. नवी मुंबई ग्रोमा के व्यापारियों ने इस कानून का कडा विरोध किया है और सरकार से इस आदेश को वापस लेने का आग्रह किया है.

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