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ग्रामीण बोली भाषा शैली से वैदर्भीय स्टार प्रचारक महाराष्ट्र को कर दिया गूंजायमान

* कराले की प्रचार सभा को मिल रहा प्रतिसाद, बन रहा चर्चा का विषय
* अनोखे और खास अंदाज ने सभी को किया प्रभावित
नागपुर/दि.7- हर पार्टी के स्टार प्रचारकों की सूची में कई बडे-बडे नेताओं के नाम होते है. भाषण कला का सभी का अपना अलग और अनोखा अंदाज होता है. कुछ स्टार प्रचारक आक्रामक रुप से मुद्दे रखते है तो कुछ संयमता से उनकी भूमिका को पेश करते हुए पार्टी के उम्मीदवार को विजयी बनाने का आह्वान करते है. जनसैलाब की भावना को सभी को अवगत हो ऐसा नहीं. लेकिन वैदर्भीय मास्तर और राष्ट्रवादी शरद पवार पार्टी के प्रवक्ता नीतेश कराले की ग्रामीण बोली भाषा के प्रचार सभा को मिलने वाला प्रतिसाद लोकसभा चुनाव में चर्चा का विषय बना है. उल्लेखनिय यह है कि, तीसरें चरण में मराठवाडा और पश्चिम महाराष्ट्र की सभाएं उन्होंने की. बारामती में सुप्रिया सुले की समापन सभा में उन्होंने अपने भाषण से सभी को प्रभावित किया.
मूलत: वर्धा जिले के नीतेश कराले स्पर्धा परीक्षा देने वाले बच्चों को अध्यापन करने का कार्य करते है. उनके अध्यापन की शैली के वीडियो बडे पैमाने पर वायरल होने से वे दूर-दूर तक परिचत हो रहे है. स्नातक निर्वाचन क्षेत्र में भी उन्होंने चुनाव लडा. सर्वप्रथम प्रस्थापित राजनीति दलों ने अनदेखी की उनकी उम्मीदवारी स्नातकों में ध्यानाकर्षित रही. उन्होंने प्राप्त किए निर्णायक वोटों के कारण इस निर्वाचन क्षेत्र का नतीजा हटकर रहा. वे भले ही पराजित हुए, लेकिन प्राप्त किए वोटों की वजह से उन्होंने सभी राजनीतिक पार्टियों का ध्यान केंद्रीत किया. वहां से उनका राजनीतिक सफर शुरु हुआ. पदभर्ती के मुद्दे पर उन्होंने आंदोलन किया. उनके आंदोलन को सांसद सुप्रिया सुले ने भेंट दी थी. लोकसभा चुनाव से पूर्व सीधे मुंबई में वे शरद पवार से मिले और उन्होंने अधिकृत रुप से राष्ट्रवादी कांग्रेस शरद पवार गुट में प्रवेश किया. पार्टी ने उन पर प्रचार की जिम्मेदारी सौंपी. उनके भाषण को मिलने वाले प्रतिसाद को देखते हुए महाविकास आघाडी के समूह दल अनुक्रमता कांग्रेस व शिवसेना ठाकरे गुट द्वारा भी उनकी सभा की मांग होने लगी.
पहले चरण में पूर्व विदर्भ में, दूसरे चरण में पश्चिम विदर्भ में उन्होंने सभाएं ली. नागपुर, रामटेक, अमरावती, चंद्रपुर में उनकी सभा यादगार रही. तीसरें चरण में मराठवाडा, पश्चिम महाराष्ट्र में भी उनकी सभा हुई. बारामती में सुप्रिया सुले की प्रचार समापन सभा में उनका भाषण हुआ. किसी भी तरह की राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं रहने पर भी ग्रामीण भाषा में सीधे सवाल पूछने की कला लोगों के दिल को छूने वाली होने से ‘कराले मास्तर’ अब स्टार प्रचारक के रूप में पहचाने जाने लगे.

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