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23 को खत्म हो रहा पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे का कार्यकाल

ठाकरे गुट के सामने एक और समस्या

* फिलहाल पार्टी के नाम व चुनावी चिन्ह का मामला अधर में
* 14 को निर्वाचन आयोग के सामने होेगी सुनवाई
नई दिल्ली/ दि. 11- इस समय जहां एक ओर शिवसेना पार्टी के नाम और चुनावी चिन्ह को लेकर ठाकरे गुट व शिंदे गुट के बीच कानूनी लढाई चल रही है, वही दूसरी ओर ठाकरे गुट के सामने एक ओर पचिदगी है पैदा हो गई है. क्योंकि आगामी 23 जनवरी को पार्टी प्रमुख के तौर पर उध्दव ठाकरे का कार्यकाल खत्म होने वाला है, ऐसे में उन्हें दुबारा पूरी कार्यकारिणी की बैठक बुलाकर संगठनात्मक चुनाव करवाने होेंगे ताकि वे पार्टी प्रमुख के पद पर बने रह सके. परंतु मौजूदा स्थिति में पार्टी दो हिस्सों में विभाजित हो चुकी है. ऐसे में पार्टी कार्यकारिणी की बैठक फिलहाल बुलाना संभव नहीं है. साथ ही यदि उध्दव ठाकरे गुट व्दारा अपने साथ रहने वाले पदाधिकारियों की बैठक बुलाई जाती है, तो इसे शिवसेना की नहीं, बल्कि शिवसेना उध्दव बालासाहब ठाकरे पार्टी की बैठक माना जायेगा और उध्दव ठाकरे केवल इसी गुट के पार्टी प्रमुख बन सकेंगे. ऐसे में ठाकरे गुट के सामने काफी कानूनी पेचिदगी पैदा हो गई है.
बता दे कि, वर्ष 2018 में हुई शिवसेना की कार्यकारिणी बैठक में उध्दव ठाकरे को दूसरी ओर शिवसेना का पार्टी प्रमुख चुना गया था. वहीं विगत वर्ष शिंदे गुट व्दारा की गई बगावत के चलते शिवसेना दो हिस्सों में विभाजित हो गई. जिसके बाद दोनों गुटों ने खुद को असली शिवसेना बताते हुए निर्वाचन आयोग के समक्ष पार्टी के चुनावी चिन्ह धनुष्यबाण पर दावा पेश किया था. दोनों गुटों व्दारा पेश किये गए दावों पर अगले माह 14 फरवरी को निर्वाचन आयोग में सुनवाई होने वाली है, लेकिन अब इसके पहले ही उध्दव ठाकरे का कार्यकाल पार्टी प्रमुख पद के रुप में खत्म होने वाला है. जिसमें अब केवल 12 दिनों का समय शेष बचा है. ऐसे में सेना सांसद अनिल देसाई ने दिल्ली में पत्रवार्ता को संबोधित करते हुए बताया कि, पार्टी कार्यकारिणी की बैठक बुलाते हुए संगठनात्मक चुनाव करवाने हेतु पार्टी व्दारा निर्वाचन आयोग से निवेदन करेंगे. वहीं दूसरी ओर शिंदे गुट ने शिवसेना पार्टी प्रमुख पद को ही गैर संवैधानिक बताते हुए उध्दव ठाकरे के इस पद पर बने रहने पर सवाल उठाये.

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