अकोला/दि.12– मरीज से संलग्नित रही दवाई दुकानों द्वारा अस्पताल में भर्ती मरीजों को उपचार के लिए लगने वाली वैद्यकीय साहित्य की बिक्री करते समये संबंधित परिवार के जेब को सीधे काटने का काम किया जाते रहने की बात सामने आयी है.
यूरिन बैग, कैथेटर, आईवी सेट, आईवी कैथेटर, आईवी कैन्यूला, नेब्यूलाईजर के लिए लगने वाला मास्क, पीडिया ड्रिप, बीटी सेट, सजर्सिकल कपास आदि जैसे वैद्यकीय साहित्य की एमआरपी मूल खरीदी कीमत की करीबन 5 से 10 गुना है. इस कारण मरीज के रिश्तेदारों को काफी पैसे गिनने पडते है. 500 ग्राम सर्जिकल कपास अस्पताल की दवाई दुकानों में 410 रुपए में मिलती है.
* बाहर सस्ती और भीतर महंगी
अस्पताल से संलग्नित दवाई दुकान से 38 रुपए खरीदी कीमत वाली वस्तु एमआरपी भाव से सीधे 310 रुपए में बिक्री की जाती है. जबकि वहीं दवाई बाहर की दवाई दुकान से लेने पर केवल 60 से 70 रुपए में मिलती है.
* मकसद अधिक मुनाफे का
दवाई व्यवसायी कितना मुनाफा कमाये, यह उन पर निर्भर है. एमआरपी अधिक रहने से अधिक मुनाफे का मकसद रहता है, ऐसी जानकारी है.
– डॉ. गजानन घीरके,
दवाई निरीक्षक,
अन्न व औषध प्रशासन.
* एमआरपी भाव में ही माल बेचा जाता है
यूरिन बैग, आईवी सेट एमआरपी भाव में ही बेचा जाता है. दवाई व्यापारी दवाई और सर्जिकल साहित्य किफायती दामों में ही बेचते है.
– मंगेश गुगल,
अध्यक्ष, केमिस्ट एण्ड ड्रगिस्ट एसो., अकोला.
* मरीजों के परिवार पर पडने वाला बोझ
साहित्य एमआरपी खरीदी बाजार भाव अस्पताल
यूरिन बैग 316 38 से 39 60 से 70 310
कैथेटर 743 130 200 से 210 740
आईवी सेट 180 14 30 से 40 180
आईवी कैथेटर 168 15 45 से 50 165
आईवी कैन्युला 187 14.50 40 से 50 180
नेब्युलायझर मास्क 572 47 80 से 90 570
पीडिया ड्रीप 280 40 60 से 70 280
बीटी सेट 179 16 30 से 35 175