पवार ने तोडा अपना वादा, फिर चुनावी मैदान में उतरे
मुंबई मराठी ग्रंथ संग्रहालय के अध्यक्ष पद पर दावेदारी
मुंबई/दि.22 – कुछ अरसा पहले भी भविष्य में कोई चुनाव नहीं लडने का ऐलान कर चुके राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद पवार खुद से किये गये वादे को भूलकर एक बार फिर चुनावी मैदान में है. हालांकि यह लोकसभा अथवा विधानसभा का चुनाव नहीं है, बल्कि आगामी 24 अक्तूबर को मुंबई मराठी ग्रंथ संग्रहालय के अध्यक्ष पद का चुनाव होने जा रहा है तथा राकांपा सुप्रीमो शरद पवार ने अध्यक्ष पद पर अपनी दावेदारी ठोंकी है. वहीं इस चुनाव में उनके सामने आम आदमी पार्टी के धनंजय शिंदे बतौर प्रतिद्वंदी है. इसके अलावा सूचना अधिकार कार्यकर्ता अनिल गलगली भी इस संग्रहालय के उपाध्यक्ष पद के लिए चुनावी मैदान में थे. लेकिन उन्होंने अनियमितता का आरोप लगाते हुए अपना नामांकन वापिस ले लिया है.
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पवार पर संस्था में परिवारवाद को बढावा देने का आरोप
आम आदमी पार्टी द्वारा आरोप लगाया गया है कि, वर्ष 1980 के दशक में जब से शरद पवार व डॉ. भालचंद्र मुणगेकर इस संस्था के कामकाज में शामिल हुए है, तब से नियमों और प्रक्रियाओें को ताक पर रख दिया गया है. ‘आप’ का आरोप है कि ग्रंथ संग्रहालय के कामकाज हेतु वर्ष 1984 का स्वीकृत व वर्ष 1989 का अस्वीकृत संविधान है. प्रबंधन द्वारा वर्ष 1989 के अनुसार काम करने का दावा किया जाता है. लेकिन इसके मुताबिक प्रबंध समिती का कार्यकाल केवल तीन वर्ष का रहने के बावजूद प्रबंध समिती विगत पांच वर्ष से अधिक समय से काम कर रही है. वहीं ट्रस्टियों की नियुक्ति भी आमसभा की बजाय प्रबंध समिती की बैठक में की गई. जिसके तहत शरद पवार की मर्जी के आधार पर सुप्रिया सुले, अनिल देसाई व प्रताप आसबे को ट्रस्टी नियुक्त किया गया. इसके लिए पवार ने तीनों की नियुक्ति को लेकर सुबह पत्र लिखा और शाम में इन तीनों को ट्रस्टी के तौर पर नियुक्त कर दिया गया.
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सदस्य 6 हजार, मतदान का अधिकार केवल 34 के पास
वहीं नामांकन वापिस लेनेवाले अनिल गलगली ने कहा कि संगठन के 6 हजार सदस्य है. लेकिन सिर्फ 34 के पास मतदान का अधिकार है. गलगली के मुताबिक जानबूझकर सदस्यों के अधिकारों का हनन किया जा रहा है. इसलिए वे चुनाव नहीं लड रहे हैं. बता दें मराठी ग्रंथ संग्रहालय 100 साल से ज्यादा पुरानी संस्था है. 6 हजार सदस्यों के साथ इसकी 27 शाखाएं है. डॉ. बाबासाहब आंबेडकर, न्यायमूर्ति रानडे और लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक जैसी कई प्रमुख हस्तियां और स्वतंत्रता सेनानी इसके सदस्य रहे है.