महाराष्ट्र

कोरोना महामारी संकट में पर्यावरण के प्रति जागरुक हुए लोग

23 फीसदी भारतीयों ने सीखा खाना बनाना व चित्रकारी

  • गोदरेज समूह द्बारा कराए गए सर्वे में खुलासा

मुंबई/दि.5 – कोरोना संक्रमण की पहली और दूसरी लहर के दौरान लगे लॉकडाउन और पाबंदियों के दौरान 52 फीसदी लोग पर्यावरण के प्रति ज्यादा जागरुक हो गए है. पौधे लगाने, खरीददारी करने और ऊर्जा बचाने के प्रति भी लोग ज्यादा सचेत हुए है. गोदरेज समूह द्बारा हाल ही में कराए गए अध्ययन ‘द लिटिल थिंग्स वी डू’ मे ये बाते सामने आयी है. लोगों की दिनचर्या, आदतों और हावभाव के विश्लेषण के जरिए 10 महीने के दौरान लोगों के जीवन में बाए बदलाव का अध्ययन किया गया.
अध्ययन में 44 फीसदी लोगों ने अपने आसपास रहने वाले वंचितों की मदद की या सामुदायिक सेवा में सहयोग किया. आंकडों के मुताबिक बाहर निकलने पर लगी पाबंदियों के दौरान लोगों ने अपने रचनात्मक पक्ष को निखारने पर जोर दिया. इस दौरान करीब 23 फीसदी भारतीयों ने खाना पकाने, चित्रकारी करने, स्केच बनाने, समेत रचनात्मकता के अपने दूसरे शौक पूरे किए. 23 फीसदी से कुछ ज्यादा लोगों के लिए पुस्तके पढना और संगीत सुनना समय बिताने का सबसे अच्छा जरिया बना. बता दें कि पिछले साल फरवरी और मार्च के दौरान इंटरनेट पर केक बनाने का तरीका खोजने वालो में 238 फीसदी की वृद्धी हुई थी. अप्रैल महीने में खाना बनाने का तरीका खोजने के लिए वडर्स का इस्तेमाल 81 फीसदी बढा जो मई महने में 190 फीसदी तक और बढ गया.

रिश्तों में आया सुधार, स्वास्थ्य के प्रति हुए जागरुक

सर्वे में शामिल हुए 36 फीसदी लोगों ने माना कि परिवार के सदस्यों के साथ ज्यादा समय बिताने से उनके रिश्ते बेहतर हुए है. घर के काम के दौरान काम और जिंदगी के बची संतुलन 29 फीसदी लोगोंने थोडी-थोडी देर में नियमित ब्रेक लेने की बात स्वीकारी, जबकि 16 फीसदी लोगों ने कहा कि घर से काम करने के दौरान उनकी प्रबंधन क्षमता बेहतर हुई है.
गोदरेज समूह के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर और चीफ ब्रांड एंबेसेटर तान्या दुबाश ने कहा कि अध्ययन से चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में लोगों के स्वभाव में आए बदलाव, परोपकार की भावना, खुद को नई चुनौतियो के लिए तैयार करने की क्षमता क बारे में दिलचस्प खुलासे हुए है. रीती रिवाजों और संस्कारों की भी अहमियत सामने आयी है. सर्वे में शामिल 36 फीसदी लोगों ने बताया कि उन्होंने इस दौरान बुरी आदतें छोडी है. वहीं 58 फीसदी लोगों ने शरीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए व्यायाम को दिनचर्या में शामिल करने की बात कही.
ये तथ्य भी आए सामने

  • 55 फीसदी लोगों ने सैनिटाइजर, खाने के पैकेट, पुराने कपडे, आदि जरुतमंदो को दिए.
  • 40 फीसदी लोगों ने वंचितों को पैसे दिए.
  • 33 फीसदी महिलाओं ने खाना बनाने को आराम और खुशी की वजह बताया जबकि 19 फीसदी पुरुष ही ऐसा करके खुश थे.
  • लॉकडाउन के दौरान 46 फीसदी से ज्यादा लोगों ने जान पहचान के लोगों से जुडे रहने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया.
  • 29 फीसदी पुरुषों और 22 फीसदी महिलाओं ने टीवी देख कर मनोरंजन किया.

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