महाराष्ट्र

प्रभाग रचना को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में याचिका

21 अप्रैल को होगी सुनवाई

औरंगाबाद/ दि.8– राज्य चुनाव आयोग के स्थानीक स्वराज्य संस्थाओं के चुनाव के संदर्भ में प्रभाग रचना के अधिकार निकाल लिए गए है. राज्य चुनाव आयोग व्दारा इससे पूर्व की गई सभी चुनावी प्रक्रिया को रद्द ठहराने का महाराष्ट्र विधानसभा में 11 मार्च को प्रस्ताव पारित किया. जिसमें दो कानूनों को सुप्रिम कोर्ट में आव्हान देते हुए याचिका दाखिल की गई जिस पर 21 अप्रैल को सुनवाई होगी.
औरंगाबाद के पवन शिंदे तथा अन्य याचिकाकर्ताओं की याचिका पर गुुरुवार को न्यायाधीश ए.एम. खानवीलकर, अभय ओक तथा सीटी रवि कुमार की खंडपीठ के सामने सुनवाई हुई. अब याचिका पर 21 अप्रैल को सुनवाई होगी. राज्य की महापालिकाओं के चुनाव बढ गए है यह स्पष्ट हुआ है. न्यायालय ने अगर राज्य सरकार व्दारा बनया गया कानून रद्द कर दिया तो राज्य चुनाव आयोग को मई महीने में चुनाव लेना ही होगा. अब सुनवाई आगे बढा दिए जाने पर चुनाव सितंबर तक बढाए जा सकते है ऐसा स्पष्ट हुआ है.

राज्य सरकार ने निकाले अधिकार
3 मार्च को सुप्रिम कोर्ट व्दारा राज्य की स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं के प्रलंबित चुनाव तत्काल लिए जाने के निर्देश राज्य चुनाव आयोग को दिए थे. उसके अनुसार चुनाव आयोग ने चुनाव की आगे की प्रक्रिया शुरु कर दी गई थी. किंतु राज्य सरकार व्दारा राज्य चुनाव आयोग के प्रभाग रचना के संदर्भ में अधिकार निकाल लिए इस पर राज्यपाल ने 11 मार्च को मोहर लगाई. उसके पश्चात इसे कानून का स्वरुप प्राप्त हुआ.

कानून असंवैधानिक और गैर कानूनी
प्रभाग रचना के बगैर चुनाव आयोग चुनाव की प्रक्रिया शुरु नहीं कर सकता. पर्याय स्वरुप अनिश्चित काल के लिए चुनाव प्रक्रिया बढा दी गई है. महाराष्ट्र राज्य में 2 हजार से अधिक स्थानीक स्वराज्य संस्थाओं के चुनाव प्रलंबित है. जनप्रतिनिधि के बजाए प्रशासक स्थानीक स्वराज्य संस्थाओं के कामकाज चला रहे है. महाराष्ट्र राज्य विधान मंडल में पारित किया गया प्रस्ताव असंवैधानिक व गैर कानूनी है. इस कानून को स्थगिति देकर चुनाव आयोग तत्काल चुनाव की प्रक्रिया पूर्ण करे ऐसे निर्देश देने की विनती याचिका कर्ताओं की ओर से एड. देवदत्त पालोदकर, एड. शशि भूषण आडगांवकर, एड. परमेश्वर, एड. कैलाश अवताडे तथा राज्य चुनाव आयोग की ओर से एड. अजीत कडेठाणकर ने की. सरकार की ओर से जेष्ठ विधितज्ञ शेखर नाफडे, एड. राहुल चिटणीस काम देख रहे है.

महापालिका के चुनाव पुन: आगे बढेंगे!
हर पांच साल में सरकार चुनने का अधिकार नागरिकोें को है. आरक्षण की प्रक्रिया के लिए चुनाव आगे बढाना यह अन्याय है. यह अधिकार नागरिकों को पुन: बहाल किए जाए ऐसे निर्देश सुप्रिम कोर्ट दे ऐसी विनती याचिकाकर्ताओें की ओर से की गई है. याचिका पर 21 अप्रैल को सुनवाई होगी जिससे यह स्पष्ट हुआ है कि चुनाव आगे बढाए जाएंगे. न्यायालय व्दारा अगर राज्य सरकार व्दारा बनाए गए कानून को असंवैधानिक ठहराया गया तो राज्य चुनाव आयोग को मई महीने तक चुनाव लेने ही होंगे. किंतु अब सुनवाई आगे बढा दिए जाने के पश्चात चुनाव सितंबर महीने तक आगे बढाए जाने के संकेत दिखाई दे रहे है.

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