महाराष्ट्रविदर्भ

पीएम केयर्स फंड से संबंधित याचिका हाईकोर्ट से खारिज

कहा विश्वस्त करेंगे फैसला, किसकी मदद करें किसकी नहीं मांगी गई थी सार्वजनिक वाहन चालकों के लिए आर्थिक मदद

प्रतिनिधि/दि.२४

नागपुर – बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने गुरुवार को दीपक साने व अन्य ४ द्बारा दायर उस जनहित याचिका को खारीज कर दिया, जिसमें याचिकाकर्ता ने पीएम केयर्स फंड से शहर के सार्वजनिक वाहन चालकों (बस, स्कूल बस, ऑटो रिक्षा) को आर्थिक मदद देने का मुद्दा उठाया था. मामले से जुडे पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने यह तय किया कि पीएम केयर्स फंड की नियमावली के अनुसार इस ट्रस्ट के विश्वतों को यह तय करने का अधिकार है कि वे किसे आर्थिक मदद दें और किसे नहीं. ऐसे में कोर्ट इसमें दखल नहीं देगा. न्या. सुनील शुक्रे और न्या. नितीन सूर्यवंशी की खंडपीठ ने इस याचिका को खारिज कर दिया. याचिकाकर्ता की और से एड. अरविंददवाघमारे ने पक्ष रखा. यह प्रार्थना भी की गई थी- जनहित याचिका में वाहन चालकों के आर्थिक मदद देने के साथ ही उनके वाहन के प्रमाणपत्र जैसे बीमा, पीयूसी, रोड टै्नस, परमिट व अन्य की अवधि भी दिसंबर २०२१ तक बढाई जाए. फिर कोर्ट ने यह पाया कि सरकार ने पहले ही यह अवधि कुछ महीनों के लिए बढा दी है और आगे भी इस प्रकार का फैसला लिया जा सकता है. ऐसे में यह प्रार्थना अपरिपक्व है, इसलिए अभी केंद्र को इस प्रकार का आदेश जारी नहीं किया जा सकता. बॉ्नस * आर्थिक स्थिति खराब है याचिकाकर्ता के अनुसार लॉकडाउन में केंद्र सरकार के निर्देशों पर सार्वजनिक वाहनों से आवागमन बंद हो गया. ऐसे में एक झटके में बस, स्कूल बस, टै्नसी और ऑटोचालक बेरोजगार हो गए. लॉकडाउन लंबा चल रहा है. देश में लागू सोशल डिस्टेंqसग के नियमों के चलते सार्वजनिक परिवहन सेवा जल्द ही पटरी पर आएगा, ऐसा नहीं लगता. ऐसे में सार्वजनिक वाहन चालकों के पास आजीविका चलाने के ज्यादा विकल्प मौजूद नहीं हैं. ऐसे कठीन समय में उन्हें पीएम केयर्स फंड से ३० हजार रुपए की मदद मिलनी चाहिए.

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