मुंबई दी ११ –मुंबई शहर और इसके आस-पास के इलाकों में प्रदूषण दिल्ली की तरह तेजी से बढ़ता जा रहा है. लेकिन मुंबई में प्रदूषण बढ़ने के कारण कुछ और हैं. यहां प्रदूषण आस-पास के इलाकों के किसानों द्वारा पराली जलाए जाने की वजह से नहीं है. यहां प्रदूषण का कारण है गगनचुंबी इमारतों का निर्माण. यहां प्रदूषण का कारण है अलग-अलग ठिकानों में इंफ्रास्ट्रक्चर के प्रोजेक्ट्स के निर्माण से उठने वाली धूल, यहां प्रदूषण का कारण है चौबीसों घंटे अनलॉक के बाद सड़कों पर चलने वाली गाड़ियां. इन सब वजहों से मुंबई में प्रदूषण लगातार बढ़ता ही जा रहा है. जल्दी ही वो समय आ सकता है जब मुंबई प्रदूषण के मामले में दिल्ली से मुकाबला करने लगेगी.मुंबई में प्रदूषण खासकर अनलॉक के बाद बढ़ना शुरू हुआ है. शुक्रवार (11 दिसंबर) को मुंबई के कोलाबा, माझगांव, बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स और मालाड में हवा की गुणवत्ता बहुत ज्यादा खराब दर्ज की गई है.
शुक्रवार को दर्ज की गई मुंबई की हवाओं की गुणवत्ता
बढ़ती हुई आबादी के लिए घरों की जरूरतों को पूरा करने के लिए घरों के निर्माण, शहर के विस्तार के लिए पेड़ों की कटाई, बढ़ती हुई इंडस्ट्रीज जैसे वे चंद कारण हैं जिनसे मुंबई में प्रदूषण में बढ़ोत्तरी हुई है. दक्षिण मुंबई सहित मध्य मुंबई में अनलॉक के बाद एक बार फिर कंस्ट्रक्शन के कामों में तेजी आई है. इन कामों से लगातार धूल उड़ा करती है. यह धूल पूरे वातावरण में फैल जाती है. इस वजह से हवा की क्वालिटी लगातार खराब होती जा रही है. मुंबई में हर रोज़ लाखों गाड़ियाां आती-जाती हैं. इन गाड़ियों से भी प्रदूषण फैलता है.
धुंध, धूल और धुएं से फैल रहा है प्रदूषण
मुंबई में वैसे तो सर्दी नहीं पड़ती है, लेकिन फिर भी यहां सुबह कई इलाकों में धुंध छाई हुई दिखाई देती है. इस तरह धुंध, धूल और धुएं मिल कर प्रदूषण का स्तर बढ़ा रहे हैं. इससे मुंबईकरों को स्वास्थ्य संबंधी कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
मुंबई में भारत के 24 शहरों में से सबसे ज्यादा PM-10
भारत के 24 प्रमुख शहरों के मुकाबले मुंबई में सबसे ज्यादा PM-10 पाए जा रहे हैं. पीएम-10 को पर्टिकुलेट मैटर (Particulate Matter) कहते हैं. इन कणों का साइज 10 माइक्रोमीटर या उससे कम होता है. इसमें धूल, गर्दा, धातु के सूक्ष्म कण शामिल होते हैं. पीएम-10 धूल, कंस्ट्रक्शन और कूड़े से बढ़ता है. पीएम-10 का सामान्य लेवल 100 माइक्रो ग्राम क्यूबिक मीटर (MGCM) होना चाहिए. अगर यह इससे ज्यादा होता है तो धुंध बढ़ती है और विजिबिलिटी गिरती है. पीएम-10 की मात्रा अधिक बढ़ जाने की वजह से ही मुंबई भारत के अन्य दो अहम कोस्टल सिटीज (कोलकाता और चेन्नई) के मुकाबले ज्यादा प्रदूषित शहर बन गया है.