महाराष्ट्र

अनार का व्यापार ठप्प

फसल पर रोग का परिणाम

* आर्थिक गतिविधिया 3000 करोड से 800 करोड पर
पुणे/ दि.24- सांगोला तहसील में एक समय ऐसा था कि वहां पर 12 महिने तक अकाल पडा था. परंतु इस तहसील में सोने जैसी अनार की फसल हरी भरी हुई. 15- 20 एकड में अनार की बहुत अच्छी फसल विगत 10 वर्ष में हुई थी. लेकिन इस सुखद समय को अब ग्रहण लग गया है. सोने जैसी अनार की फसल पर रोग लगने के कारण वह नष्ट हो रही है. सांगोला फिर से नष्ट होगा का क्या। ऐसा भय लगने लगा है. सूखा मौसम और कम बारिश के कारण खेत की उपजाऊ पन भी नष्ट हो गया.
* जीने का सहारा ही खत्म
अजनाले में इतिहास विषय में बीएड करनेवाले दत्तात्रय येलपले नौकरी के पीछे न लगकर उन्होंने खेती का व्यवसाय किया. उनका भाई 6-7 एकड खेती करता था. उसने खेती में दवा की दुकान शुरू की थी. किंतु अब बाग नष्ट होने के कारण खेती और व्यवसाय अडचन में आ गया है. हमारे जीने का सहारा ही खत्म हो गया. इस संकट से बाहर निकलने के लिए कृषि विभाग और सोलापुर के अनार संशोधन केन्द्र का कुछ भी उपयोग नहीं हुआ. ऐसा भी उन्होंने कहा.
संगोला से किसान रेल द्बारा अनाज देशभर में पहुंचाते थे तथा बंगलादेश में 50-60 हजार टन अनाज निर्यात करते थे. यूरोप में भी लगभग 15 हजार निर्यात होता था. परंतु यह सभी काम अब ठप्प हो गया है.
2021 में सोलापुर जिले के अनार की आर्थिक बजट 3000करोड पर था. इस बार 8 करोड पर ही आ गया है. अगले वर्ष केवल 200करोड पर ही रहेगा. ऐसी जानकारी अनार उत्पादक संघ के अध्यक्ष प्रभाकर चांदणे ने दी.

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