जल्द ही बढ सकती है बिजली की दरें
दो माह के भीतर नियामक आयोग ले सकता है निर्णय
मुंबई/दि.8– कोयले के लगातार बढते दामों की वजह से कोयला आधारित विद्युत उत्पादन काफी महंगा हो चला है. ऐसे में विद्युत वितरण कंपनी द्वारा आरक्षित रखी गयी इंधन समायोजन निधी धीरे-धीरे खत्म हो रही है. जिसके चलते अब राज्य में विद्युत दरवृध्दि होना बेहद अटल है. इसे लेकर राज्य विद्युत नियामक आयोग द्वारा विद्युत वितरण कंपनियों को नये दिशानिर्देश जारी किये गये है. जिसके मद्देनजर आगामी दो माह में विद्युत दरों के बढने की पूरी संभावना है.
बता दें कि, विद्युत वितरण कंपनियों द्वारा विद्युत निर्मिती प्रकल्पों से बिजली खरीदकर उसे विद्युत ग्राहकों को उपलब्ध कराया जाता है. यदि विद्युत निर्मिती कंपनियोें का उत्पादन खर्च बढता है, तो वितरण कंपनियों को महंगी दरों पर बिजली खरीदनी पडती है. किंतु वितरण कंपनियों द्वारा बिजली के दामो में इस अनुरूप दरवृध्दि नहीं की जाती, बल्कि इंधन समायोजन निधि से खुद को होनेवाले घाटे की पूर्ति की जाती है, ताकि महंगी बिजली का आर्थिक बोझ ग्राहकों पर न पडे. किंतु विगत करीब एक वर्ष के दौरान कोयले पर चलनेवाले विद्युत निर्मिती प्रकल्प से मिलनेवाली बिजली की दरें काफी अधिक बढ गई है. क्योंकि कोयला काफी महंगे दामों पर मिल रहा है. साथ ही कोयले की आपूर्ति भी काफी अत्यल्प हो रही है. ऐसे में आम उपभोक्ताओं को पूर्ववत दरों पर बिजली उपलब्ध कराने हेतु वितरण कंपनियों के पास आरक्षित रहनेवाली इंधन समायोजन निधी अब खत्म होने में है. जिसके चलते मौजूदा दरों पर ही आगे भी बिजली उपलब्ध कराना वितरण कंपनियों के लिए संभव नहीं हो पायेगा. इस बात के मद्देनजर राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा नये दिशा-निर्देश जारी किये गये है.
उल्लेखनीय है कि, इससे पहले कोविड संक्रमण को देखते हुए राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा विद्युत वितरण कंपनियों को ग्राहकों से इंधन समायोजन शुल्क नहीं लेने हेतु कहा गया था. वहीं 1 अप्रैल से सभी कंपनियां यह शुल्क वसूल कर सकती है. जिसके चलते नियामक आयोग ने नये सिरे से मार्गदर्शक निर्देश जारी किये है. इसके तहत विद्युत वितरण कंपनियों की इंधन समायोजन निधी जिस महिने में खत्म होगी, उसे पहिला महिना ग्राह्य माना जायेगा. जिसके पश्चात अगले दो महिने तक यह शुल्क नहीं लेने और इसके बाद अगले तीन माह के देयक में तीन माह का एकत्रित शुल्क लेने की बात कही गई है.
आयोग के इन नये निर्देशों के चलते यद्यपि अप्रैल माह में विद्युत दरवृध्दि नहीं होगी, लेकिन इस तथ्य की अनदेखी भी नहीं की जा सकती कि, महावितरण की इंधन समायोजन निधी दिसंबर माह में ही खत्म हो गई है. इसके साथ ही मुंबई को विद्युत आपूर्ति करनेवाली अदानी, टाटा पॉवर व बेस्ट जैसी विद्युत वितरण कंपनियों की भी इंधन समायोजन निधी विगत एक वर्ष से महंगी बिजली खरीदने के चक्कर में खत्म हो चुकी है. ऐसे में आगामी मई से जुलाई माह के दौरान समूचे राज्य में आम उपभोक्ताओं के लिए बिजली कभी भी महंगी हो सकती है. विशेषज्ञों द्वारा जताये गये अनुमान के मुताबिक महावितरण द्वारा 1.50 रूपये, टाटा पॉवर व बेस्ट द्वारा 1.10 रूपये तथा अदानी इलेक्ट्रीसिटी द्वारा 25 पैसे प्रति यूनिट की दरवृध्दि की जा सकती है.
* मंत्रिमंडल की बैठक में भी छाया रहा लोडशेडिंग का मसला
बता दें कि, गत रोज राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में भी विद्युत आपूर्ति और लोडशेडिंग का मसला चर्चा में छाया रहा. ज्ञात रहे कि, राज्य में इस समय केवल दो दिन चलने लायक कोयले का स्टॉक उपलब्ध है. ऐसे में मंत्रिमंडल की बैठक में गुजरात सहित अन्य राज्यों से बिजली खरीदने के संदर्भ में चर्चा होने की जानकारी है. राज्य में विगत कुछ दिनों से लोडशेडिंग का मसला गंभीर बना हुआ है और कई शहरों सहित ग्रामीण इलाकों में लोडशेडिंग के चलते लोगबाग त्रस्त हो चले है. साथ ही अब जनप्रतिनिधियों को नागरिकों के रोष व गुस्से का शिकार होना पड रहा है. जिसका असर गत रोज हुई मंत्रिमंडल की बैठक में भी दिखाई दिया.