राज्य में मंडरा रहा बिजली कमी का संकट
महानिर्मिति के चार औष्णीक केंद्र में तीन दिन का कोयला बचा
नई मुंबई/ दि.२४– राज्य में बिजली निर्मिति करने वाले औष्णीक केंद्र को विदर्भ के डब्ल्यूसीएल कंपनी की ओर से कोयला आपूर्ति बंद कर दी गई है. जिसके चलते यह केंद्र अब संकट में घिर चुके है. जिसके चलते बिजली कमी महसूस होकर राज्य को अंधेरे का सामना करना पड सकता है. कोराडी, भुसावल, परली और नाशिक इन चार औष्णीक केंद्रों में डेढ से तीन दिन तक व चंद्रपुर, खापरखेडा और पारस इन तीन औष्णीक केंद्रों में 8 से 10 दिन तक का कोयला शेष होने की जानकारी महानिर्मिति के सूत्रों ने दी है.
बीते 22 मार्च की स्थिति के अनुसार राज्य में बिजली की कुल डिमांड 22 हजार 980 मेगावैट थी. इसी दिन राज्य में बिजली निर्मिति 16 हजार 132 मेगावैट थी. राज्य में महानिर्मिति के 7 औष्णीक केंद्र है. इन 7 औष्णीक केंद्रों में महावितरण को बिजली आपूर्ति कराई जाती है. बीते अनेक दिनों से महावितरण के पास तकरीबन 10 हजार रुपये करोड बिजली आपूर्ति बकाया है. वह अब तक महानिर्मिति को प्राप्त नहीं हुई. बिजली निर्मिति के लिए महानिर्मिति व्दारा डब्ल्यूसीएल (विदर्भ), शिंगरानी कोल्ड (हैदराबाद), साउथ इस्टेन कोल्ड (ओरिसा), महानदी कोल्ड (ओरिसा) इन कोयला उत्पादन करने वाली कंपनियों की ओर से कोयला खरीदी किया जाता है. लेकिन विदर्भ के डब्ल्यूसीएल कंपनियों ने पैसे नहीं देने से कोयला आपूर्ति बंद किये जाने की जानकारी है. जिसके चलते औष्णीक केंद्र परेशानी में आ गए है. महानिर्मिति को रोजाना 1 लाख टन कोयला बिजली निर्मिति के लिए लगता है. सर्वाधिक कोयला डब्ल्यूसीएल कंपनी की ओर से आपूर्ति किया जाता है. इस कंपनी ने कोयला आपूर्ति रोक दिये जाने से बिजली निर्माण करने वाले नाशिक, भुसावल, परली और कोराडी औष्णीक केंद्र भी दुविधा में फंस गए है.